नई दिल्ली। राजस्थान सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। बता दे कि एक व्यक्ति की ओर से राजस्थान सरकार से 48.01 लाख रुपये का बिल मांगा गया है।सुनने में अटपटा जरूर है लेकिन है सौ फीसद सच। एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा कर अपने मुवक्किल राजस्थान सरकार से वर्ष 1994 से लंबित 48 लाख रुपये का लंबित बिल चुकाने को कहा है।
48 लाख रुपये का लंबित बिल चुकाने का निर्देश
बता दे कि जस्टिस एनवी रामन्ना और एस. अब्दुल नजीर की ओर से यह फैसला सुनाया गया है। जिसमें वकील अरुणेश्वर गुप्ता के पक्ष में फैसला देते हुए चार हफ्ते में राज्य सरकार को उसे 48.01 लाख रुपये का भुगतान करने का फैसला सुनाया है। सर्वोच्च अदालत ने इस कार्य में मदद के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नाफाड़े को एमीकस क्यूरी बनाया है। साथ ही वास्तविक प्रोफेशनल फीस भी पता करने को कहा है।
राजस्थान विधानसभा चुनाव, कौन बनेगा राजस्थान प्रदेशाध्यक्ष, इनके नाम की चर्चा
वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नाफाड़े ने अपनी रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट को सुझाव दिया है कि सरकार के कामकाज में गुप्ता को केवल कुल फीस 48.01 रुपये ही मिलने चाहिए। मेरे विचार से किसी भी अधिवक्ता को सरकार के कामकाज के बिल पर ब्याज का दावा नहीं करना चाहिए। उनकी रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए खंडपीठ ने यह भी कहा कि नाफाड़े को भी 2.5 लाख रुपये की फीस दी जानी चाहिए।
राजस्थान विधानसभा चुनाव-कांग्रेस हर विधानसभा क्षेत्र के लिए जारी करेगी अलग घोषणा पत्र
हालांकि वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नाफाड़े ने इसे लेने से इन्कार कर दिया और उसे वकीलों के कल्याण के लिए सुप्रीम कोर्ट बार काउंसिल एसोसिएशन (एससीबीए) को देने का सुझाव दिया है। इसलिए अदालत ने 2.5 लाख रुपये को एससीबीए को देने का फैसला सुनाया है।