नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों की प्रक्रिया जारी है। प्रदेश में सियासी पारा भी चढ़ चुका है लेकिन सूबे के एक नेता की मुश्किलें हैं कि कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। दरअसल, देश की सर्वोच्च अदालत ने यौन शोषण मामले में सपा नेता और उत्तर प्रदेश सरकार के परिवहन मंत्री गायत्री प्रजापति के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से गायत्री की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। वह अमेठी से सपा प्रत्याशी के रूप में एक बार फिर मैदान में हैं और 2012 की तरह अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। वहीं कांग्रेस की अमिता सिंह भी इस सीट से अपना नामांकन कर चुकी हैं। दोनों ही नेता पीछे हटने को तैयार नहीं हैं और शीर्ष नेतृत्व भी अभी तक मामला सुलझा नहीं पाया है। वहीं अब जिस तरह से सर्वोच्च अदालत ने गायत्री के खिलाफ एफआईआर का आदेश दिया है, उससे न सिर्फ अमेठी में सपा के विरोधी दल बल्कि अमिता सिंह भी मुद्दा बना सकती हैं, जिससे गायत्री पर दबाव बनाकर उन्हें चुनाव लड़ने से रोका जा सके।
क्या है पूरा मामला
बता दें कि अक्टूबर 2016 में एक महिला ने गायत्री पर रेप का आरोप लगाया था। महिला ने कहा था कि गायत्री अपने गुर्गों के साथ 60-60 दिनों तक होटल के कमरे बुक करवा कर उनका उत्पीड़न किया करते थे। उस समय महिला ने यह भी कहा था कि प्रजापति ने नशीला पदार्थ उसकी चाय में मिलाकर अपने गुर्गो के साथ उसके साथ दुष्कर्म किया।
विवादों से रहा है नाता
गायत्री कई बार पहले भी विवादों में रहे हैं। सितम्बर 2016 में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पहली बार भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण विवादों में रहने वाले गायत्री प्रजापति बर्खास्त कर दिया था। गायत्री तब खनन मंत्री थे और उन पर खनन मंत्री रहते हुए अवैध खनन की गतिविधियों में शामिल रहने का आरोप था। हालांकि इसके कुछ दिन बाद ही गायत्री को दोबारा मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। तब उन्होंने मुलायम को भगवान बताया था। गायत्री ने कहा था, ‘नेताजी को बधाई, मुख्यमंत्री जी को विशेष बधाई। नेताजी भगवान हैं।’ उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री ने अन्याय के खिलाफ काम किया। मैं गरीब के घर पैदा हुआ हूं। मुझ पर विरोधियों ने झूठे आरोप लगाए हैं। उन्होंने मुलायम और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पैर भी छुए।