नई दिल्ली। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में पूजा अर्चना की विधि तय करने का अधिकार हमारा नहीं है। ये बात सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर प्रबंधन समिति द्वारा नोटिस बोर्ड पर कोर्ट का सहारा लेकर पूजा-अर्चना के नियम लिखने को लेकर कही। कोर्ट ने कहा कि हमारा काम केवल शिवलिंग को सुरक्षित रखने का है। कोर्ट ने कहा कि भस्म आरती कैसे होगी ये हम तय नहीं कर सकते। मंदिर की पूजा पद्धति में हम किसी तरह का दखल नहीं दे सकते।
कोर्ट ने कहा कि शिवलिंग को सुरक्षित और संरक्षित करने के दिशा=निर्देश जारी कर सकते हैं, लेकिन पूजा पद्धति को लेकर नहीं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर प्रबंधन समिति को नोटिस बोर्ड तुरंत हटाने को कहा था, जिसमें कोर्ट के निर्देश पर पूजा के नियम लिखे गए थे। कोर्ट ने कहा कि अभी तक हमने ये आदेश नहीं दिया है कि धार्मिक अनुष्ठान कैसे होंगे और किस तरह से भस्म आरती की जाएगी। कोर्ट ने साफ तौर पर कह दिया है कि हमारा इससे कोई लेना-देना नहीं है।
गौरतलब है कि कोर्ट ये मामला केवल शिवलिंग को सुरक्षित रखने के लिए सुन रहा है और इसके लिए विशेषज्ञों की एक समिति बनाई गई है, जिसकी रिपोर्ट के आधार पर मंदिर प्रबंधन समिति ने यह प्रस्ताव पेश किए थे। पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि आरओ के पानी से महाकाल शिवलिंग का अभिषेक किया जाना चाहिए। इससे पहले इस पर फैसला होना था कि अभिषेक के लिए पंचामृत (दूध, दही, शहद, शकर और घी) से अभिषेक हो या नहीं और कितनी मात्रा में हो।