नई दिल्ली। जेपी समूह के दिवालिया होने के बाद कई लोगों को फ्लैट्स नहीं मिल पाए थे, जिसके बाद कई लोगों ने जेपी समूह के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में केस दर्ज करवाया था। इसी केस की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जेपी समूह को दो हजार करोड़ रुपये जमा कराने के निर्देश दिए है। कोर्ट ने कहा कि हम अपने फैसले में कोई बदलाव नहीं करेंगे और न ही आदेश में बदलाव करने के लिए कोई अर्जी स्वीकार की जाएगी। कोर्ट ने साफ करते हुए कहा कि जेपी समूह फ्लैट खरीददारों से किए हुए अपने वादे से पीछे नहीं हट सकता है। इसी के साथ कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 27 अक्टूबर की तारीख निर्धारित की है।
दरअसल पिछले महीने जेपी समूह के खिलाफ लगभग 400 फ्लैट खरीददारों ने सुप्रीम कोर्ट में केस दर्ज कराया था। खरीददारों ने ये मांग की थी कि उपभोक्ता कानून के तहत उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाए। फ्लैट खरीददारों ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि वो जेपी समूह के संपत्ति को जब्त करे और फ्लैट ट्रांसफर किए जाने की जांच करे। आपको बता दें कि 11 सितंबर को जेपी समूह को सुप्रीम कोर्ट ने दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। एनसीएलटी के इलाहाबाद बेंच के फैसले पर अपने आदेश में संशोधन करते समय जेपी समूह को निर्देश दिया था कि वो 27 अक्टूबर तक दो हजार करोड़ रुपये जमा करे।
कोर्ट ने कहा था कि जेपी ग्रुप का प्रबंध निदेशक और कोई भी निदेशक बिना कोर्ट की पूर्व अनुमति के विदेश नहीं जा सकता है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एनसीएलटी के इलाहाबाद बेंच के दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया शुरु करने को हरी झंडी दे दी। कोर्ट ने इस प्रक्रिया को चलानेवाले इंटरिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल को निर्देश दिया था कि वे 45 दिनों के अंदर पूरी योजना बताएं।
पिछले 13 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने जेपी समूह को निर्देश दिया है कि वो कैलिप्सो प्रोजेक्ट के दस फ्लैट खरीददारों को देर से कब्जा देने की वजह से पांच लाख रुपए का मुआवजा दे। कोर्ट ने कहा था कि यह अंतरिम मुआवजा है। सुप्रीम कोर्ट ने फ्लैट धारकों को अपना फ्लैट बेचने पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा थी कि इससे असली फ्लैट खरीददारों को मदद मिलेगी।