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अर्नब गोस्वामी सहित अन्य दोनों आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत, अंतरिम जमानत पर रिहा करने के आदेश

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नई दिल्ली। रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी को 2018 में इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उनकी मां की आत्महत्या से संबंधित मामले में चार नवंबर 2020 को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। जिसके बाद अर्नब गोस्वामी को पड़ोसी जिले रायगढ़ के अलीबाग ले जाया गया था। अर्नब गोस्वामी ने मुंबई हाईकोर्ट को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी। जिसके बाद उन्हें जस्टिस चंद्रचूड़ और इंदिरा बनर्जी की बेंच ने अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश​ दिया है।

अर्नब गोस्वामी ने बॉम्बे हाईकोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती-

बता दें कि अर्नब गोस्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में बॉम्बे हाई कोर्ट के नौ नवंबर के आदेश को चुनौती दी थी। जिसमें उन्हें और दो अन्य आरोपियों- फिरोज शेख और नीतीश सारदा- को अंतरिम जमानत देने से इंकार करते हुये कहा गया था कि इसमें हमारे असाधारण अधिकार का इस्तेमाल करने के लिये कोई मामला नहीं बनता है। अर्नब और अन्य आरोपियों ने अंतरिम जमानत के साथ ही इस मामले की जांच पर रोक लगाने और उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने का अनुरोध हाई कोर्ट से किया था। सुप्रीम कोर्ट ने रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी और अन्य सह-आरोपियों को अंतरिम ज़मानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। जस्टिस चंद्रचूड़ और इंदिरा बनर्जी की बेंच ने माना कि बॉम्बे HC को मामले में आरोपी को अंतरिम जमानत दे देनी चाहिए थी।

न्यायिक हिरासत के दौरान मोबाइल फोन के इस्तेमाल का आरोप-

गोस्वामी को चार नवंबर को मुंबई में उनके निवास से गिरफ्तार करके पड़ोसी जिले रायगढ़ के अलीबाग ले जाया गया था। उन्हें और दो अन्य आरोपियों को बाद में मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया। जिन्होंने आरोपियों को पुलिस हिरासत में भेजने से इंकार कर दिया था। अदालत ने तीनों को 18 नवंबर तक के लिये न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। गोस्वामी को शुरू में अलीबाग जेल के लिये कोविड-19 पृथकवास केन्द्र के रूप में एक स्थानीय स्कूल परिसर में रखा गया था, लेकिन रविवार को उन्हें रायगढ़ जिले में स्थित तलोजा जेल भेज दिया गया। क्योंकि उन पर न्यायिक हिरासत के दौरान मोबाइल फोन के इस्तेमाल का आरोप था।

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