नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने रिश्वत मामले में आए जजों के नाम को लेकर एसाईटी जांच की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि याचिका ने जजों की ईमानदारी पर अनावश्यक तरीके से संदेह पैदा करने की कोशिश की है। सुप्रीम कोर्ट ने वकील कामिनी जायसवाल की याचिका को खारिज करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि सीबीआई की प्राथमिकी किसी न्यायाधीश के खिलाफ नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि जजों के खिलाफ इस तरह की शिकायत दर्ज करवाना संभव नहीं है। वहीं कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कामिनी जायसवाल के खिलाफ मानहानि का नोटिस जारी कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के जज आरके अग्रवाल, अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की पीठ ने मामले में एक जज को सुनवाई से हटाने के लिए प्रयास करने पर भी प्रतिकूल टिप्पणी करते हुए कहा कि ये सही नहीं हैं। आपको बता दें कि कामिनी जायसवाल ने वरिष्ठ वकील शांति भूषण और प्रशांत भूषण के माध्यम से मामले में न्यायमूर्ति खानविलकर को हटाने की मांग की थी, वहीं खानविलकर ने खुद ही मामले से हटने से इनकार कर दिया है।
तीन न्यायाधीशों खंडपीठ ने कहा कि इस तरह की याचिका दायर करके सुप्रीम कोर्ट और जजों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई है और जजो की ईमानदारी पर बिना मतलब शक किया गया है। बताते चलें कि याचिका में दावा किया गया था कि मेडिकल कॉलेजों से जुड़े मामलों के निपटारे के लिए कथित तौर पर रिश्वत लेने के आरोप लगाए गए थे। इस मामले में उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश इशरत मसरूर कुदुशी भी आरोपी हैं।