एजेंसी, नई दिल्ली। गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान सामूहिक बलात्कार का शिकार हुई बिलकिस बानो को 50 लाख रुपये बतौर मुआवजा, नौकरी और आवास देने का फरमान सुनाया है। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को राज्य सरकार को इस संबंध में आदेश दिया।
अहमदाबाद के करीब हिंसक भीड़ ने गर्भवती बिलकिस बानों के साथ सामूहिक बलात्कार किया था और उसके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या कर दी थी। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ को गुजरात सरकार ने सूचित किया कि इस मामले में दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है।
पीठ को यह भी बताया गया कि पुलिस अधिकारियों के पेंशन आदि लाभ रोक दिए गए हैं। इसी प्रकार बंबई उच्च न्यायालय ने दोषी आईपीएस अधिकारी की दो रैंक पदावनति कर दी है। बिलकिस बानो ने इससे पहले शीर्ष अदालत के समक्ष एक याचिका पर उन्हें पांच लाख रुपये मुआवजा देने की राज्य सरकार की पेशकश ठुकराते हुये ऐसा मुआवजा मांगा था, जो दूसरों के लिये नजीर बने। शीर्ष अदालत ने इससे पहले 29 मार्च को गुजरात सरकार से कहा था कि बंबई उच्च न्यायालय द्वारा दोषी ठहराए गए आईपीएस अधिकारी सहित सभी दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ दो सप्ताह के भीतर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
बानो की वकील शोभा गुप्ता ने इससे पहले न्यायालय से कहा था कि राज्य सरकार ने दोषी ठहराए गए पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। अधिवक्ता शोभा ने कोर्ट से यह भी कहा था कि गुजरात में सेवारत एक आईपीएस अधिकारी इस साल सेवानिवृत्त होने वाला है जबकि चार अन्य पहले ही सेवानिवृत्त हो चुके हैं और उनकी पेंशन समेत सेवानिवृत्ति संबंधी लाभ रोकने जैसी कार्रवाई भी नहीं की गई है।
राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता तुषार मेहता ने सफाई देते हुए कहा था कि इन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही की जा रही है। बिलकिस बानो को मुआवजे के बारे में मेहता ने कहा था कि इस तरह की घटनाओं में पांच लाख रुपये मुआवजा देने की राज्य सरकार की नीति है। अभियोजन के अनुसार अहमदाबाद के पास रणधीकपुर गांव में उग्र भीड़ ने 3 मार्च 2002 को बिलकिस बानो के परिवार पर हमला बोला था। इस हमले के समय बिलकिस बानो पांच महीने की गर्भवती थी और उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था। साथ ही उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या कर दी गई थी।