नई संसद भवन के निर्माण का रास्ता साफ, सुप्रीम कोर्ट ने दी हरी झंडी

नई दिल्ली। नई संसद भवन के निर्माण कार्य का इंतजार अब खत्म हो गया है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट सेंट्रल विस्टा को हरी झंडी दे दी है।
आपको बता दें कि मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट सेंट्रल विस्टा कई याचिकाएं दायर हुई थीं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है। इस प्रोजेक्ट के तहत संसद की नई इमारत का निर्माण हो रहा है। सेंट्रल विस्टा केा हरी झंडी देते हुए कोर्ट ने पर्यावरण कमेटी की रिपोर्ट को भी नियमों को अनुरुप माना है। इसी के साथ कोर्ट ने लैंड यूज चेंज करने के इल्जाम की वजह से सेंट्रल विस्टा की वैधता पर सवाल खड़े करने वाली याचिका को फिलहाल लंबित रखा है।
दरअसल 10 दिसम्बर 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की नई संसद की इमारत की आधारशिला रखी थी। नया संसद भवन मौजूदा संसद भवन के पास ही बनना प्रस्तावित है। ये एक तिकोनी इमारत होगी जबकि मौजूदा संसद भवन वृत्ताकार है।
क्यों बनाई जा रही नई संसद-
सरकार और अधिकारियों के अनुसार संसद के बढ़ते काम के कारण एक नई इमारत के निर्माण की ज़रूरत महसूस की गई। अभी का संसद भवन ब्रिटिश दौर में बना था जो लगभग 100 वर्ष पुराना है और उसमें जगह और अत्याधुनिक सुविधाओं की व्यवस्था नहीं है।
लोकसभा सचिवालय के अनुसार ऐसी उम्मीद की जा रही है कि नया संसद भवन अक्तूबर 2022 तक बन जाएगा। काम दिसंबर 2020 में शुरू करने की उम्मीद जताई गई है।इस संबंध में दायर याचिकाओं पर मंगलवार को सुप्रीम कोट ने इमारत के निर्माण कार्य को हरी हरी झंडी दे दी है। इस मसले पर जस्टिस एएम खानविल्कर दिनेश माहेश्वरी और संजीव खन्ना की तीन जजों की बेंच ने मंगलवार को अपना फैसला सुनाया सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि हम सेंट्रल विस्टा परियोजना को मंजूरी देते समय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा दी गई सिफारिशों को बरकरार रखते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में केंद्र सरकार से कहा कि निर्माण शुरू करने से पहले सरकार हेरिटेज कंजर्वेशन कमेटी की मंजूरी ले। तीन जजों की बेंच में फैसला दो एक के बहुमत में है।