नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को चिकित्सा रिपोर्टों के आधार पर 24 सप्ताह की गर्भवती महिला के गर्भपात को मंजूरी दे दी। चिकित्सा रिपोर्टों में कहा गया है कि भ्रूण में गंभीर विसंगतियां हैं और यह उसकी मां के मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बेहद जोखिमभरा है। न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर तथा न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की पीठ ने केईएम अस्पताल, मुंबई के चिकित्सा बोर्ड की रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद कहा, “हम गर्भवती महिला को कानून के अनुसार, गर्भपात कराने की स्वतंत्रता का निर्देश प्रदान करते हैं।”
सात चिकित्सकों के एक दल द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट न्यायालय के शुक्रवार के आदेश के बाद आई है। न्यायालय ने गर्भवती महिला की जांच करने और उसकी उस याचिका पर अपनी राय व्यक्त करने के लिए कहा था, जिसमें उसने 24 सप्ताह के गर्भ का गर्भपात करने के लिए निर्देश देने की मांग की थी।
महिला ने याचिका दायर कर कोर्ट से 20 हफ्ते तक ही गर्भपात की मंजूरी के कानून की समीक्षा की मांग की थी। याचिका में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (एमटीपी) एक्ट की धारा 3(बी) को चुनौती दी गई. मांग की गई कि इसे असंवैधानिक घोषित किया जाए। इस धारा के मुताबिक, काई भी 20 हफ्ते के बाद गर्भपात नहीं करा सकता।