किसान आंदोलन का 17वां दिन है और किसानों ने अपना आंदोलन तेज कर दिया है. किसान और सरकार की फिलहाल कोई सहमति नहीं बन पा रही है. वहीं किसान अपने आंदोलन से पीछे हटने का नाम भी नहीं ले रहे हैं. सरकार कृषि कानूनों में संशोधन करने को तैयार हैं लेकिन किसान कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं.
वहीं अब किसान आंदोलन में वामपंथियों और माओवादियों की घुसपैठ के बयानों पर राजनीति गरमा गई है. किसान संगठन इस बयान से गुस्साए हुए हैं. किसान संगठनों ने कहा कि अगर ऐसा है तो केंद्र उन लोगों को गिरफ्तार करे और जेल में डाल दे. वहीं बीजेपी की सहयोगी रही शिरोमणि अकाली दल भी इस बात से भड़क गई है. SAD के प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि किसान संगठनों को खालिस्तानियों और राजनीतिक दलों की संज्ञा देकर आंदोलन को बदनाम किया जा रहा है. अगर कोई केंद्र से असहमत है तो वे उन्हें देशद्रोही कहते हैं. सुखबीर बादल ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है.
पीयूष गोयल के बयान से गर्माया मामला
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने आंदोलन को माओवादियों और वामपंथियों के हाथों में चले जाने की बात कही थी. सुखबीर सिंह बादल ने मांग की है कि ऐसे बयान देने वालों ने माफी मांगनी चाहिये.
विपक्षियों का किसानों को समर्थन
भारत बंद के दिन सभी ने देखा की लगभग सभी विपक्षी दल किसानों के समर्थन में हैं. वहीं कांग्रेस तो शुरुआत से ही किसानों के समर्थन में खड़ी है. हालांकी बीजेपी भी शुरुआत से ही कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कह रही है कि इन प्रावधानों को कांग्रेस अपने घोषणा पत्र में पहले ही शामिल कर चुकी है, लेकिन अब विरोध कर रही है. वहीं शिरोमणि अकाली दल जोकि बीजेपी की सबसे बड़ी सहयोगी पार्टी थी, उसने कृषि कानूनों के चलते बीजेपी से समर्थन वापिस ले लिया.