- संवाददाता, भारत खबर
नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने परंपरागत तेलुगू अध्ययन उत्कृष्टता केन्द्र को मैसूर स्थित केन्द्रीय भारतीय भाषा संस्थान (सीआईआईएल) से किसी तेलुगू भाषी राज्य में स्थानांतरित करने के उपराष्ट्रपति के सुझाव पर सहमति जताई है।
केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने उपराष्ट्रपति को सूचित किया है कि मंत्रालय उनके सुझाव पर कार्य करने के लिए इच्छुक है।
मंत्रालय शीघ्र ही परंपरागत तेलुगू अध्ययन उत्कृष्टता केन्द्र को दोनों में से किसी एक तेलुगू राज्य में स्थानांतरित करने की अपनी इच्छा के बारे में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना दोनों राज्यों के साथ पत्र व्यवहार करेगा और भूमि तथा अस्थायी निवास के बारे में दोनों राज्यों से प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर फैसला लेगा।
इससे पूर्व, उपराष्ट्रपति ने सीआईआईएल में परंपरागत तेलुगू अध्ययन उत्कृष्टता केन्द्र का दौरा किया और परंपरागत तेलुगू के संरक्षण एवं संवर्धन के इसके प्रयासों की सराहना की।
नायडू ने संस्थान के निदेशक डी.जी. राव से तेलुगू लिपि के उद्भव पर केन्द्र के अनुसंधान के बारे में पूछा जिन्होंने परंपरागत तेलुगू साहित्य के अनुसंधान, डिजिटाइजेशन और प्रकाशन जैसे क्षेत्रों में शुरू किये गये कार्यकलापों के बारे में उन्हें जानकारी दी।
केन्द्र भारत के राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों एवं विदेशों में व्यक्तियों तथा संस्थानों के साथ समन्वय भी कर रहा है और विश्व की अन्य परंपरागत भाषाओं में अध्ययन के लिए लिंकेज भी उपलब्ध करा रहा है।
अन्य कार्यों के अतिरिक्त, केन्द्र अपने व्याख्यान क्षेत्रों के भीतर और बाहर परंपरागत भाषा को बढ़ावा देता है, प्रचार प्रसार करता है और संरक्षित करता है, साथ ही भारत एवं विदेशों में अनुसंधान को प्रोत्साहित करता है। केन्द्र शास्त्रीय मूल ग्रंथों में निपुण विख्यात विद्वानों पर वृत चित्र बनाता है और शास्त्रीय संगीत और नृत्य रूपों के साथ परंपरागत भाषा के संबंधों की खोज करता है। यह मूल ग्रंथों का अन्य भारतीय भाषाओं, अंग्रेजी और चुनी हुई यूरोपीय भाषाओं में अनुवाद भी करता है।