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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) की सफलता गाथा में एक और अध्याय जुड़ा

isro भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) की सफलता गाथा में एक और अध्याय जुड़ा

श्रीहरिकोटा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) की सफलता गाथा में एक और अध्याय जुड़ गया है। बुधवार को इसरो ने बाहुबली कहे जाने वाले अपने सबसे भारी रॉकेट जीएसएलवी-एमके3-डी2 की मदद से देश के सबसे भारी और उन्नत संचार उपग्रह जीसैट-29 को कक्षा में स्थापित किया। यह उपग्रह पूर्वोत्तर और जम्मू-कश्मीर के दूरस्थ इलाकों में इंटरनेट व अन्य संचार सुविधाएं मुहैया कराने में मददगार होगा। इस दोहरी सफलता पर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो को बधाई दी।

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बता दें कि प्रक्षेपण के लिए 27 घंटे का काउंटडाउन मंगलवार को दोपहर 2:50 बजे से शुरू हुआ था। खराब मौसम के चलते लॉन्चिंग टलने की आशंका थी। हालांकि परिस्थितियों ने साथ दिया और तय कार्यक्रम के अनुरूप बुधवार को शाम पांच बजकर आठ मिनट पर श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण केंद्र से रॉकेट को लॉन्च किया गया। लॉन्चिंग के 16 मिनट बाद इसने सफलतापूर्वक जीसैट-29 सैटेलाइट को कक्षा में पहुंचा दिया।

वहीं इसरो प्रमुख के. सिवन ने कहा, ‘मुझे यह एलान करते हुए खुशी हो रही है कि हमारे सबसे भारी लॉन्चर ने अपने दूसरे मिशन में सबसे भारी उपग्रह जीसैट-29 को जियो ट्रांसफर ऑर्बिट में स्थापित कर दिया है।’ इसरो के वैज्ञानिकों ने इस अभियान को इसलिए भी अहम माना है क्योंकि भारत के महत्वाकांक्षी चंद्रयान-2 और मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियानों में इस रॉकेट का इस्तेमाल किया जा सकता है। सिवन ने बताया कि जनवरी 2019 में भेजा जाने वाला चंद्रयान इस रॉकेट का पहला ऑपरेशनल अभियान होगा। ‘सफल प्रक्षेपण के लिए हमारे वैज्ञानिकों को हार्दिक बधाई। इस दोहरी सफलता से किसी भारतीय लॉन्चर द्वारा सबसे भारी सैटेलाइट को कक्षा में स्थापित करने का रिकॉर्ड बना है।’

साथ ही 3,423 किलोग्राम वजन के साथ यह भारत का सबसे भारी सैटेलाइट है यह पूर्वोत्तर और जम्मू-कश्मीर के दूरस्थ क्षेत्रों में इंटरनेट व संचार सुविधाएं पहुंचाने में मददगार होगा वैज्ञानिकों ने इसे केंद्र सरकार की डिजिटल इंडिया पहल के लिए अहम बताया है 10 साल के मिशन पर भेजे गए इस सैटेलाइट की सफलता से नई टेक्नोलॉजी का रास्ता खुलेगा इसके जरिये इसरो पहली बार लेजर आधारित ऑप्टिकल कम्युनिकेशन सिस्टम का परीक्षण कर रहा है जीएसएलवी एमके3 इसरो द्वारा तैयार सबसे भारी रॉकेट है। 43.4 मीटर ऊंचे इस रॉकेट का वजन करीब 640 टन है। यह 4,000 किलो तक का पेलोड लेकर जाने में सक्षम है। इसी तरह के रॉकेट से पांच जून 2017 को जीसैट-19 सैटेलाइट भेजा गया था।

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