नई दिल्ली। देश में बैंकों में दो दिन की हड़ताल है। 30-31 मई को बैंक कर्मियों ने हड़ताल पर जाने का ऐलान किया है। ऐसे में सबसे बड़ी समस्या यह है कि करोड़ों सरकारी कर्मचारियों के साथ साथ निजी क्षेत्र में काम करने वालों करोड़ों लोगों पर भी बैंकों में इस हड़ताल का असर पड़ने जा रहा है। कारण साफ है कि हड़ताल के दोनों ही दिन महीने के आखिरी दिन है और ऐसे में करोड़ों लोगों की सैलरी ट्रांसफर को लेकर समस्या आने वाली है।
बता दें कि निजी और सरकारी कर्मचारियों का वेतन महीने की अंतिम तारीख में खाते में जमा किया जाता है। निजी कंपनियों में तो यह नियम के समान माना जाता है। कुछेक कंपनियों को छोड़कर बाकी कंपनियां इस प्रकार से महीने की अंतिम तारीख में पड़ने वाली छुट्टियों और बैंक कर्मियों की हड़ताल को ध्यान में नहीं रख पाती हैं। इसका असर यह होता है कि करोड़ों नौकरीपेशा और उनके परिजनों को इस प्रकार की हड़ताल और छुट्टियों का असर झेलना होता है।
वहीं ऐसी परिस्थिति में कई बैंकरों का कहना होता है कि अब सारी कंपनियां ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करती हैं। ऐसे में सभी के खातों में पैसे ट्रांसफर हो जाते हैं। अमूमन इस प्रक्रिया में बैंक की ज्यादा भूमिका नहीं होती है। लेकिन बैंक में भेजे गए धन को लोगों को सैलरी अकाउंट में ट्रांसफर करना बैंक की जिम्मेदारी होती है। ऐसे में बैंक का काम प्रभावित होना लाजमी है। और यह भी तय हो जाता है कि लोगों की सैलरी उनके खातों में आने में समस्या होगी।
साथ ही यह अलग बात है कि बैंक ऐसे किसी परिस्थिति से निपटने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करता है। लेकिन वैकल्पिक व्यवस्ता वैकल्पिक ही होती हो केवल जरूरी काम निपटाने में लग जाती है। सैलरी देना भी जरूरी काम के दायरे में आता है और आरबीआई ऐसे मामलों को सख्ती से निपटता है। लेकिन बैंक कर्मी जब नाराज हैं तब इस प्रकार की सेवाओं का प्रभावित होना तय है।
कहा जा रहा है कि इस प्रकार की हड़ताल का असर एटीएम सेवाओं पर भी पड़ता है। एटीएम में कैश की किल्लत हो सकती है। यह समस्या उन लोगों के लिए ज्यादा बड़ी है जो महीने के अंत में यह पहली तारीख को कई लेन-देन निपटाते हैं। ऐसे में खाते में अगर पैसा नहीं आया तब भी समस्या है और अगर पैसे आ भी जाते हैं तब उन्हें निकालने में भी समस्या है।
बता दें कि बैंकों द्वारा एटीएम में भी कैश की व्यवस्था करने के नियम सख्त हैं और आरबीआई इस प्रकार की किसी परिस्थिति में पहले प्रबंध करने का निर्देश देता है। लेकिन बैंकों की प्रणाली में यह सुधार अभी तक पूरी तरह लागू नहीं हो पाया है। जानकारी के लिए बता दें कि जिन लोगों के खातें निजी बैंकों में हैं उन्हें ज्यादा दिक्कत का सामना नहीं करना होगा। लेकिन जिन नौकरी पेशा और बिजनेस मैन के खाते सरकारी बैंकों में हैं उन्हें इस हड़ताल के दौराम दिक्कतें झेलनी होंगी।
अमूमन देखा गया है कि एक दिन की हड़ताल में करोड़ों रुपये के चेक और ड्राफ्ट का क्लीयरेंस अटक जाता है तो दो दिन की हड़ताल में कितने करोड़ों का क्लीयरेंस अटकेगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। कई बार देखा जाता है कि इस प्रकार की हड़ताल से देश की अर्थव्यवस्था को भी भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि दो दिन की हड़ताल में करोड़ों नौकरीपेशा और बिजनेसमैन लोगों को आज ही अपने महत्वपू्र्ण काम निपटा लेने चाहिए।