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छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों की सख्ती, माओवादियों ने जनता से की बीजेपी और आरएसएस के खिलाफ लड़ने की गुहार

छत्तीसगढ़ 2 छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों की सख्ती, माओवादियों ने जनता से की बीजेपी और आरएसएस के खिलाफ लड़ने की गुहार

रायपुर: सुरक्षा बलों द्वारा लगातार अपनाए जा रहे अक्रामक रुख से हो रहे नुकसान से छत्तीसगढ़ में माओवादियों का एक नया ही रूप सामने आया है. वामपंथी विचारों के विपरीत नक्सली अपने तालीबानी फरमान के सहारे स्थानीय जनता में अपना वर्चस्व बनाये रखने के लिए ग्रामीणों जनता विशेषकर महिलाओं को सुरक्षा बलों के खिलाफ सड़क पर उतरने के लिए उकसा रहें हैं.

बस्तर के दंतेवाड़ा में नक्सली एक ओर ग्रामीण महिलाओं को फिल्म, टीवी कार्यक्रम एवं अन्य आधुनिक सुख सुविधाओं से दूरी बनाने के लिए कह रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, गृहमंत्री मंत्रालय में विशेष सलाहकार के विजय कुमार और केंद्रीय सुरक्षबलों के खिलाफ ग्रामीणों को सड़क पर उतरकर आंदोलन की राह अपनाने के लिए बर्गलाने का प्रयास कर रहे हैं.

पांच दिन पहले 8 मार्च को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की दंतेवाड़ा स्थित दरभा डिवीजनल कमेटी ने एक पर्चा जारी कर क्षेत्र की ग्रामीण जनता से अपील करते हुए कहा कि उन्हें कथित हिंदू फासीवाद और भाजपा सरकार के ‘किराए के सशस्त्र बलों’ द्वारा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में किये जा रहे अत्याचारों के खिलाफ संघर्ष की राह अपनाना है.

अपने पत्र में माओवादियों ने कहा कि ‘बस्तर संभाग में क्रांतिकारी आंदोलन को कुचलने के लिए लाखों अर्ध-सैनिक बलों, कामांडो और डीआरजी की तैनाती की गयी है. माओवादी आंदोलन को जड़ से मिटाने के लिए संघ-भाजपा की ब्राह्मणीय हिंदू फासीवादी सरकार अपने किराये के शास्त्र बलों द्वारा महिलाओं पर घिनौने सामूहिक अत्याचार कर उनकी हत्या कर रही है.’

सीपीआई (माओवादी) के पत्र में लिखा है कि बस्तर संभाग में मुठभेड़ के नाम से कई महिला कार्यकर्ता की हत्या की गयी. दरभा डिवीजन कमेटी दंडकारण्य के सचिव साईनाथ द्वारा लिखे गए इस पत्र में पिछले एक वर्षों के दौरान करीब 7 माओवादियों के सुरक्षा बलों के हाथों मारे जाने का जिक्र करते हुए कहा गया है कि ‘बिजापुर, सुकमा और दंतेवाड़ा जिले में कई बेगुनाह माओवादी महिला कार्यकर्ताओं की फर्जी मुठभेड़ बताकर हत्या की गयी है.’

दिप्रिंट द्वारा पुलिस अधिकारियों से जब माओवादियों द्वारा जनता के नाम जारी इस पत्र के विषय में उनकी प्रतिक्रिया चाही गयी तो दंतेवाड़ा के पुलिस अधीक्षक अभिषेक पल्लव ने बताया कि माओवादियों के इस पत्र से उनकी हताशा दिखाई पड़ती है. उनका कहना है ‘सुरक्षा बलों के बढ़ते शिकंजे और जनता द्वारा उनका साथ न देने से नक्सलियों में हताशा दिखाई देने लगी है. यह खेद का विषय है कि माओवादी जानता को बरगलाने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन इससे सुरक्षा बलों के द्वारा की जा रही कार्यवाही पर कोई फर्क नही पड़ेगा.’

मोदी सरकार और भगवा संगठनों को लिया आड़े हाथ

माओवादियों ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा पर आरोप लगाया है कि 2014 में भाजपा के शासन में आने और मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश में उनके खिलाफ आवाज उठाने पर हमले बढ़े हैं. नक्सलियों ने अपने पत्र में कहा है कि अपने विरोधी विचारधारा को भाजपा और उसकी सरकारें कुचलना चाहतीं हैं.

पत्र में साईनाथ ने कहा ‘देश में मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनने के बाद सरकारी सशस्त्र बलों के अलावा, गौरक्षावाहिनी, हिन्दुवाहिनी, बजरंगदल, भारीतय जनता युवा मोर्चा, एबीवीपी, अग्नि, जैसे संघ-भाजपा अनुबंधित संगठन व गुंडवाहिनी द्वारा भाजपा सरकार की ब्रम्हणीय हिंदुत्व के खिलाफ आवाज उठाने वाले प्रगतिशील, जनवादी, महिला, दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यकों पर हमले तेज किया है.’

माओवादियों ने अपने पत्र में केंद्र सरकार की ‘बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ अभियान’ को भी एक नाटक करार दिया है.

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, आंतरिक सुरक्षा सलाहकार के विजय कुमार कर रहे अत्याचार………

माओवादियों द्वारा जारी की गयी चिट्ठी में यह कहा गया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और केंद्रीय आंतरिक सुरक्षा सलाहकार के विजय कुमार और पुलिस माओवादी विरोधी अभियान के नाम पर घरों को लूट रहे हैं.

माओवादियों का कहना है कि ‘सैकड़ों महिलाओं की पिटाई, अत्याचार के अलावा उनका यौन शोषण पुलिस द्वारा किया जा रहा है. क्रांतिकारी आंदोलन को कुचलने के लिए भाजपा सरकार द्वारा महिलाओं पर अत्याचार एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है.’

माओवादी विरोधी अभियान में तैनात सुरक्षा बलों को विदेशी बताते हुए माओवादी नेता द्वारा पत्र में कहा गया है कि ‘बस्तर की बहनों-माताओं पर विदेशी सैनिक जैसे भाजपा की किराया पुलिस एवं अर्ध-सैनिक बल अत्याचार कर रहे हैं. पुलिस के अत्याचारों का प्रगतिशील, जनवादी, मानवाधिकार संगठनो ने निंदा की है. पुलिस के अत्याचारों के खिलाफ महिलाएं प्रतिरोध कर रही हैं. दोषी पुलिस जवानों को सजा देने की मांग की है. किंतु भूपेश बघेल सरकार महिलाओं पर घिनौने अत्याचार करने वाले पुलिस एवं कमांडो बलों को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देकर सम्मान दे रही हैं.’

सीएए, एनआरसी, एनपीए का विरोध

सीपीआई (माओवादी) दरभा डिवीजन के सचिव द्वारा जारी इस पत्र में कहा गया है कि केंद्र द्वारा पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम एक भेदभावपूर्ण कानून है जिससे लोगों की नागरिकता छीनी जा रही है.

माओवादियों ने स्थानीय जनता के नाम जारी इस पत्र में सीएए के साथ एनपीआर और एनआरसी को भी लागू होना बताया है. पत्र में कहा गया है कि ‘देश में ही इस कानून (नागरिकता छीनने संबंधी) को अमल में लाने के लिए सीएए, एनआरसी, एनपीआर कानून को लागू कर पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान के 19 लाख लोग फाइनल लिस्ट में आ गए. इनमें से 14 लाख हिंदू, 5 लाख मुस्लिम हैं. राज्य में लाखों गरीब पूर्वांचलवासियों को असम में डिटेंशन सेंटर में डाल दिया गया है. कागज न होने के कारण उनकी नागरिकता को छीन लिया है. इस कानून का विरोध करने वाले जनवादी, प्रगतिशील, मानवाधिकार, बुद्धिजीवियों की आवाज को दबा रहे हैं.’

आरएसएस द्वारा लव जिहाद की खिलाफत का विरोध…

माओवादी नेता ने अपने पत्र में जनता से आरएसएस का भी विरोध करने के लिए आह्वान किया है. साईनाथ ने पत्र में संघ पर आरोप लगाते हुए लिखा है कि ‘आरएसएस लव जेहाद के नाम से मुसलमान युवओं पर हमले, घर वापसी के नाम से इसाई धर्म का पूजा स्थल और गिरजा घरों पर हमले करा रहा है. संघ-बीजेपी द्वारा ब्राह्मणीय हिंदुत्व, मनुवाद के नियमों को महिलाओं को पालन करने पर जोर दिया जा रहा हैं.’

माओवादी नेता ने हिन्दू परिवार में पितृवंशीय परम्परा का भी विरोध करते हुए लिखा है ‘समाज में सामंती, पितृसत्ता, प्रतिक्रांतिकारी विचारों को बढ़ावा देते हुए महिलाओं पर अत्याचारों के खिलाफ उठने वाली आवाज को दबाने की कोशिश भाजपा सरकार द्वारा की जा रही है.

दूसरी ओर तीन तलाक पर बिल लाते हुए मुस्लिम महिलाओं का हितैषी होने का ढोंग मोदी सरकार कर रही है. देश में महिलाओं पर ब्राह्मणीय हिंदू फासीवादियों के हमले व अत्याचार बढ़ रहे हैं. ब्राह्मणीय हिंदुत्व का प्रतिरोध करने के अलावा समान अधिकार के लिए, पितृसत्ता विचारों के खिलाफ सारी उत्पीड़ित महिलाएं को एकजुट होकर संघर्ष करने होंगे.’

‘ब्राह्मणीय हिन्दू फासीवाद’, एएफएसपीए, सुरक्षा बलों के खिलाफ लड़ाई का आह्वान

साईनाथ के पत्र में माओवादियों ने एक प्रकार से बस्तर के महिलाओं के कंधों पर सरकार और सुरक्षा बलों के खिलाफ अपनी बंदूक रखकर हमला किया है.

अंतरष्ट्रीय महिला दिवस के दिन जारी किये गए इस पत्र में माओवादियों ने महिलाओं से कहा है कि वे बस्तर में सुरक्षा बलों के खिलाफ सड़कों पर उतरें और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों से अर्ध सैनिक बलों को हटाने तथा देश के अन्य हिस्सों से शसस्त्र सेना विषेशाधिकार कानून (एएफएसपीए) को रद्द करने के लिए आंदोलन छेड़ें.

माओवादियों ने अपनी अपील में कहा कि महिलाएं प्रत्येक वर्ष ‘8 मार्च को ब्राह्मणीय हिंदू फासीवाद के खिलाफ संघर्ष

दिवस के रूप में मनावें. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में महिलाओं पर सरकारी सशस्त्र बलों द्वारा

अत्याचार बंद करने, बस्तर से अर्ध-सैनिक बलों को हटाने, दोषी पुलिस अधिकारियों व जवानों को सजा देने की मांग

को बुलंदी से उठावें.’

पत्र के माध्यम से यह भी कहा गया है कि महिलाएं इन मांगों को लेकर जगह-जगह रैली, प्रदर्शन, धरना करें. विशेष जनसुरक्षा कानून, अफसा को रद्द करने, महिलाओं को बराबर के अधिकार की मांग के लिए जन आंदोलन तेज करें. साईनाथ ने महिलाओं का शोषण-उत्पीड़न समाप्त कर समान अधिकार पाते हुए इज्जत से जीने के लिए नई जनवादी क्रांति को सफल बनाने के लिए उनसे आगे आने का आह्वा किया है.

मीडिया, पर्यटन विकास से प्रभावित हो रही है युवा पीढ़ी….

माओवादियों ने अपने पत्र के माध्यम से मीडिया में दिखाए जाने वाले प्रचार प्रसार की चीजों को भी लड़कियों और महिलाओं के खिलाफ बताया है. माओवादी नेता साईनाथ का मानना है कि महिलाओं को मीडिया में जिस रूप में प्रचारित और प्रसारित किया जाता है वह युवा पीढ़ी को सबसे अधिक प्रभावित कर रहा है और महिलाओं पर हो रहे अत्याचार को बढ़ावा देता है.

माओवादियों को प्रदेश में पर्यटन विकास से भी एतराज है. नाथ ने पत्र में लिखा है कि ‘मीडिया में विदेशी कॉरपोरेट सांस्कृति का बेरोक-टोक प्रचार-प्रसार हो रहा है. इससे युवा पीढ़ी सबसे ज्यादा प्रभावित होकर महिलाओं पर अत्याचार और बढ़ा रही है. आदिवासी अंचलों में कॉरपोरेट विकास मंडल व पर्यटन विकास पर सरकार काफी जोर दे रही है. इस तरह सरकार महिलाओं के शोषण और अत्याचार को प्रोत्साहन दे रही है.’

हिंदू धार्मिक, सामाजिक रीतियों का विरोध…..

अपने पत्र में माओवादियों ने आदिवासियों द्वारा हिंदू रीति-रिवाज से किए जा रहे धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों का भी विरोध किया है. पत्र में माओवादियों का हिंदू संस्कृति के प्रति नफरत इस कदर जाहिर हो रही है कि उन्होंने आदिवासियों द्वारा इस्तेमाल की जा रही भोजन सामग्री का भी विरोध किया है.

माओवादी नेता का कहना है कि राज्य सरकार मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के अंतर्गत आदिवासी युवक-युवतियों को ब्राह्मणीय हिंदू रीति-रिवाज से शादी करवाना बंद करे और उन्हें मांस मछली परोसा जाए. पत्र में साईनाथ ने सरकार से मांग करते हुए लिखा है कि ‘राज्य सरकार मुख्यमंत्री कन्यादान योजना से आदिवासी युवक-युवतियों को ब्राह्मणीय हिंदू रीति-रिवाज से शादी करना बंद करे. आदिवासी अंचलों में ब्राह्मणीय हिंदू रिवाज का खान-पान जबर्दस्ती लागू करना बंद करो और आदिवासी आश्रम या हॉस्टलों में मांस-मछली परोसा जाए.

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