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शिलॉन्ग में लगातार चौथे दिन भी तनाव, सुरक्षाबलों पर फेंके गए पेट्रोल बम

shilong 1 शिलॉन्ग में लगातार चौथे दिन भी तनाव, सुरक्षाबलों पर फेंके गए पेट्रोल बम

शिलॉन्ग। पूर्वोत्तर के खूबसूरत शहरों में से एक शिलॉन्ग की स्थिति हिंसक हो गई है। शिलॉन्ग के जीएस रोड पर उपद्रवियों ने सुरक्षा बलों को टारगेट करते हुए पेट्रोल बम और पत्थर फेंके हैं। जवाब में सुरक्षा बलों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े हैं। पुलिस ने पांच लोगों को गिरफ्तार भी किया है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने ट्वीट कर लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की है। उन्होंने कहा कि मेघालय में अल्पसंख्यक सिख समुदाय के किसी भी गुरुद्वारे को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। कानून और व्यवस्था की स्थिति नियंत्रण में है और राज्य सरकार स्थिति को सामान्य बनाने के लिए भरसक प्रयास कर रही है।

 

shilong 1 शिलॉन्ग में लगातार चौथे दिन भी तनाव, सुरक्षाबलों पर फेंके गए पेट्रोल बम

 

बता दें कि शिलॉन्ग में सिखों की सुरक्षा को खतरे की खबरों से चिंतित पंजाब की अमरिंदर सिंह सरकार ने कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर रंधावा के नेतृत्व में चार सदस्यीय एक टीम मेघालय की राजधानी भेजी है। एक अधिकारिक प्रवक्ता बताया कि टीम संकटग्रस्त इलाकों में हालात का जायजा लेगी और वहां सिख समुदाय को हर संभव मदद करेगी। मुख्यमंत्री ने टीम को सोमवार की सुबह शिलॉन्ग के लिए रवाना होने को कहा। अमरिंदर ने टीम की तनाव वाले इलाकों में पहुंच सुनिश्चित करने के लिए मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा का सहयोग मांगा है। प्रवक्ता ने बताया कि अमरिंदर ने संगमा से सिख समुदाय और उनकी धार्मिक संस्थाओं को राज्य में सुरक्षा मुहैया करने का अनुरोध किया।

शिलॉन्ग की झड़प सांप्रदायिक नहीं: मुख्यमंत्री

साथ ही मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा ने कहा है कि बीते गुरुवार को हिंसा स्थानीय मुद्दे पर भड़की थी और यह सांप्रदायिक नहीं थी। कर्फ्यू में बीते शनिवार को सात घंटे की ढील दी गई। दो समुदायों से जुड़ी झड़प के मद्देनजर दिल्ली से शिरोमणि अकाली दल के नेताओं के एक दल ने मेघालय की राजधानी का दौरा किया है। हिंसा में कम से कम 10 लोग घायल हो गए थे। अधिकारियों ने बताया कि ईस्ट खासी हिल्स जिला प्रशासन ने सुबह आठ बजे से दोपहर तीन बजे तक कर्फ्यू में ढील देते हुए बीते रविवार की प्रार्थना के लिए लोगों को चर्च जाने की अनुमति दी। संगमा कहा, ‘समस्या एक खास मुद्दे पर स्थानीय स्तर की है। बस ये हुआ कि दो खास समुदाय के लोग इसमें शामिल थे, लेकिन यह सांप्रदायिक नहीं था।

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