लखनऊ: केंद्र सरकार ने पिछले महीने महंगाई भत्ते पर डेढ़ साल से लगी रोक हटाते हुए भत्ते को 17 से बढ़ाकर 28 फीसदी कर दिया गया है। मगर, उत्तर प्रदेश में यह व्यवस्था कुछ अधिकारियों के कारण करीब एक माह के करीब होने के बावजूद लागू नहीं हो पाई है।
वैसे भी कोरोना काल में संक्रमण के बीच कोरोना योद्धा की तरह सरकार के कंधे से कंधा मिलकर प्रदेश के कर्मचारियों ने काम किया और अब जब कर्मचारियों के हक की बारी आई तो भुगतान को जान-बूझकर लटकाया जा रहा है। यही नहीं मुख्य सचिव द्वारा सभी विभागाध्यक्षों को अपने-अपने विभाग के कर्मचारी संगठनों के साथ बैठक का आदेश भी हवा हवाई साबित हो रहा है।
सरकार-कर्मचारियों में टकराव पैदा करने की कोशिश
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने शासन के कुछ अधिकारियों का नाम लिए बिना कहा कि, ये सरकार और मुख्यमंत्री को गुमराह कर सरकार और कर्मचारियों में टकराव पैदा करने के साथ कर्मचारी और शिक्षक समाज को आंदोलन के लिए उकसाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि, सरकार के कुछ अधिकारियों के कारण कर्मचारी और शिक्षक, सेवानिवृत्त कर्मचारी संवर्ग को लोकभवन और मुख्यमंत्री आवास घेरने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने कहा कि, पिछले वर्ष मार्च माह में कोरोना महामारी जब भारतवर्ष में तेजी से फैली और लॉकडाउन लगाया गया, तभी केंद्र सरकार न कार्मिकों एवं अधिकारियों के भक्तों की कटौती धन की कमी को दिखाते हुए कर दी। लेकिन अब जब सरकार के सभी आंकड़े बोल रहे हैं कि ‘शेयर मार्केट पहले से बेहतर है’, ‘जीएसटी की वसूली पहले से बेहतर है’, आयकर की वसूली पहले से बेहतर है तो कर्मचारियों के भत्ते के भुगतान में प्रदेश सरकार देरी क्यों कर रही है। भत्ते जो कार्मिकों के वेतन का अंश होता है इसका भुगतान संकट काल में जिस तीव्र गति से रोका गया था था उसी गति से रोक हटाकर प्रदेश सरकार को भुगतान कराना चाहिए था। ऐसा न करना प्रदेश सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा करने के साथ कर्मचारियों को उकसाने का प्रयास प्रतीत होता है। अब जबकि केंद्र सरकार द्वारा उसे बहाली की आदेश कर दिया गया है।
सरकार की मनमानी से कर्मचारी शिक्षक समाज आहत
उन्होंने कहा कि, परिषद के नेताओं की बातचीत में प्रमुख सचिव और मुख्य सचिव स्तर पर भत्ते तत्काल देने की बात स्वीकारी जा चुकी है। इसके बावजूद भत्तों के भुगतान की कही कोई व्यवस्था दिखाई नहीं पड़ रही है। यह सरासर मनमानी का द्योतक है। उन्होंने बताया कि, सरकार की इस मनमानी से कर्मचारी शिक्षक समाज आहत है। अतिशीघ्र कर्मचारी शिक्षक और सेवानिवृत्त कर्मचारी शिक्षकों के संगठनों की वार्ता आयोजित कर प्रदेशव्यापी आन्दोलन के साथ लोकभवन और मुख्यमंत्री आवास घेराव का निर्णय लिया जाएगा।