एक तरफ जहाँ भारतीय सेना कश्मीर के लोगों को सुरक्षा मुहैया कराना चाहती है, वहीं दुसरी ओर चंद लोग अराजकता फैलाने मे कोई कसर नही छोड़ते हैं। सेना के जवानों पर ही पत्थर फेंकने का हिमाकत किया जाता है। सरकार भी उन्हें नादान समझ कर माफ कर देती है। यहाँ तक कि उनके केस भी वापस ले लिए जाते हैं।
मंगलवार को बी.जे.पी ने पी.डी.पी से सर्मथन वापस ले लिया, महबुबा मूफ्ती ने भी अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया है। ईसके तुरंत बाद बी.जे.पी के नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील अजय अग्रवाल ने जम्मु कश्मीर के राज्यपाल एन.एन.बोहरा को लिखा की जल्द से जल्द पत्थरबोजों के जो केस वापस लिए गए हैं, उन्हें फिर से भूमिका मे लाया जाए और उन पर कारवाई की जाए।
अग्रवाल ने आगे लिखा हा कि पत्थरबाजों के केस को बिना किसी से सलाह लिए वापस लिए गए हैं। उन्होने आगे लिखा है कि राज्य सरकार को कोई भी केस वापस लेने का हक नही है। जिस मामले मे किसी अन्य की हताहत हुई हो, उसकी सहमति के बगैर सरकार केस वापसी का फैसला नही ले सकती है। उन्होने राज्यपाल से ये भी कहा है कि देश हित के लिए उन्हे ये फैसला लेना चाहिए।
आपको बता दें कि बीते फरवरी में मुफ्ती ने पत्थरबाजों के सारे केस वापस ले लिए थे। राज्य के एग्रीकल्चर मंत्री गुलाम नबी ने बताया कि सरकार के द्वारा गठित एक कमिटी के कहने पर ही केस को वापस लिया गया था। उन्होनें बताया कि 530 लोगों के खिलाफ 61. एफ.आइ आर दर्ज थे। इसी कड़ी मे उन्होंने आगे बताया कि पिछले तीन सालों में 14,208 लोगों के खिलाफ, 4066 एफ.आइ आर दर्ज हुए हैं।
अब देखने होगा कि राज्पाल अग्रवाल के इस पत्र पर क्या एक्शन लेते हैं।