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मानवीय संवेदना की बड़ी मिशाल है एस एस पी डॉ राजेश पान्डेय

crime 3 1 मानवीय संवेदना की बड़ी मिशाल है एस एस पी डॉ राजेश पान्डेय

नई दिल्ली। मानवीय संवेदना को लेकर कहा जाता है कि प्रदेश की पुलिस असंवेदनशील रहती है। क्योंकि रोजाना ऐसे कई मामले सामने आते रहते हैं, लेकिन हाल में ताजा मामला अलीगढ़ का है। जहां पर एसएसपी डॉ राजेश पान्डेय ने एक इंसानियत की मिशाल प्रकट करते हुए आम लाचार गरीब महिला के दुखों पर मरहम ही नहीं लगाया बल्कि उसकी समस्या का निदान करने के लिए एक ठोस कदम भी उठाया। अचानक ही औचक निरीक्षण के दौरान अलीगढ़ के शमशाद मार्केट की फुटपाथ पर उनकी नजर एक सो रही फटे चिटे कपड़ों में लिपटी महिला पर पड़ी।

crime 2 3 मानवीय संवेदना की बड़ी मिशाल है एस एस पी डॉ राजेश पान्डेय

मौके पर उन्होने उस महिला से पूछताछ करने शुरू की तो इंसानियत का शर्मनाक चेहरा देख उनका ह्रदय पसीज गया इसके बाद उन्होने एक फेसबुक पोस्ट के जरिए इस पूरी घटना को साझा भी किया। उन्होने अपनी पोस्ट में बताया कि महिला का नाम मीना देवी है जो कि छोटी कशेर थाना डिवाई , जनपद बुलंदशहर की रहने वाली है। करीब इसकी उम्र 34 साल के आस पास है। इसका पति मजदूरी करता था जो कि कई महीनों से गायब है । लेकिन इस पर मुशीबतों का पहाड़ तब टूटा जब फुटपाथ से इसका 4 माह का एक बेटा और 8 साल की एक बेटी काजल गाय़ब हो गई। एक बेटा है जिसके साथ वह मेहनत मजदूरी कर अपना गुजर कर रही है।

अपनी मुसीबतों के लिए उनसे लोगों से कई बार अपने गायब बेटे और बेटी के साथ पति के बारे में मदद की गुहार लगाई लेकिन लोगों ने केवल सलाह दी मदद के हाथ एक भी आगे नहीं आये। ऐसे में खाकी वर्दी में अपनी ड्यूटी निभाते हुए इंसानियत दिखाई जिले के कप्तान डॉ राजेश पान्डेय ने जिन्होने मुफलिसी में जीवनयापन कर रही इस महिला के दर्द को जानने की कोशिश की जिसके पास न कोई नेता आया, न कोई संस्था, न तमाशबीन आये, न पुलिस, न पत्रकार, न कोई चैनल, वह अपने दर्द के सहारे पागलों की तरह भटकती रही।

लेकिन जब इस महिला की राम कहानी एस एस पी डॉ राजेश पान्डेय के ड्राइवर ने उन्होने बताई तो साहब खुद चलकर इस महिला के पास आ गए। वाकिया जाना और तुरंत इसकी सहायता के लिए थाना सिविल लाइन के प्रभारी को बुलाया मुकदमा पंजीकृत हुआ और टीम बनाकर बच्चों की बरामदगी का प्रयास शुरू किया गया। कप्तान साहब ने इस वाकिए को फेसबुक पेज पर साझा करते हुए लिखा कि महिला की यह व्यथा, पीड़ा, गुस्सा और बेबसी देखकर थोड़ी देर के लिए मैं भी संज्ञाशून्य हो गया। आस-पास लगी लोगों की भीड़ मे सभी शान्त थे। उसकी किसी ने नहीं सुनी क्योंकि वह गरीबी रेखा के अन्तिम पायदान पर है। मेरे समाज ने उसे सामाजिक संरचना में कोई स्थान नहीं दिया ।

कप्तान डॉ राजेश कुमार पान्डेय के इस कृत्य की चर्चा अब पूरे जिले में हो रही है उनकी इस पोस्ट पर हजारों लाइक और कमेंट आ चुके हैं। लोग उनको उनके इस काम के लिए साधुवाद देने के साथ दूसरों के लिए प्रेरणा देने वाला कदम बता रहे हैं। वैसे डॉ राजेश पान्डेय के इस कृत्य के बाद गठित टीम ने उस महिला की बेटी को सकुशल बरामद कर लिया है। खुद कप्तान डॉ राजेश पान्डेय ने महिला को उसकी बेटी सौंप दी है।

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