नई दिल्ली। श्री श्री रविशंकर के आर्ट ऑफ लिविंग कार्यक्रम को हुए कई महीने बीत चुके है लेकिन यमुना को प्रदूषित होने का मुद्दा अभी भी उतना ही गर्म है। इस मामले पर श्री श्री का कहना है कि पर्यावरण को अगर कोई नुकसान हुआ है तो इसके लिए सरकार और एनजीटी को ही जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए और उन्हीं पर जुर्माना लगाना चाहिए।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि संस्था ने इस कार्यक्रम के लिए सभी संबंधित निकायों से मंजूरी ली थी। इतना ही नहीं एनजीटी को दो महीने पहले ही कार्यक्रम के बारे में आवेदन भेजा गया था। अगर वो चाहता को कार्यक्रम को रोक सकता था। लेकिन इतने अच्छे आयोजन के होने और बिना किसी नियम को तोड़ने के बावजूद जुर्माना लगाया गया। इस बारे में रविशंकर ने फेसबुक पर एक पोस्ट शेयर करते हुए ये बाते कही।
उन्होंने आगे लिखा कि अगर यमुना की स्थिति इतनी खराब थी तो इस आयोजन की परमीशन ही नहीं देनी चाहिए थी। उन्हें इस पूरे कार्यक्रम की सराहना करनी चाहिए थी लेकिन अब ऐसा लग रहा है जैसे कोई अपराध कर दिया हो। इस आयोजन का मकसद यमुना को बचाना था। इसमें दुनियाभर से 18 करोड़ लोग आए और इस कार्यक्रम का हिस्सा बने।
बता दें कि इस कार्यक्रम का आयोजन ऑर्ट ऑफ लिविंग के 35 साल पूरे होने पर यमुना किनारे साल 2016 में हुआ था। इस सांस्कृति महोत्सव पर गठित कमेटी की रिपोर्ट कुछ समय पहले आई थी जिसमें कहा गया था कि इस पूरे कार्यक्रम की वजह से नदी के किनारे बाढ़ग्रस्त इलाके को काफी नुससान हुआ है। अब इसे ठीक करने में 13.29 करोड़ की लागत आएगी जिसमें 10 साल लग जाएंगे।