नई दिल्ली। पहले बीएसएफ जवान और फिर तीन स्पेशल पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद जम्मू-कश्मीर ही नहीं पूरे देश में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ गुस्सा बढ़ा है। इस बीच, सोशल मीडिया पर कुछ स्पेशल पुलिस अफसरों (SPOs) के कथित इस्तीफे के विडियो वायरल हो गए। दरअसल, आतंकियों ने पुलिसकर्मियों को धमकी दी है कि वे नौकरी छोड़ दें या नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहें। ऐसे में इस पर गौर करने की जरूरत है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा तैनात किए गए SPOs ही आतंकियों के निशाने पर क्यों हैं?
स्थानीय चुनाव से पहले लोगों में खौफ पैदा करने की कोशिश
बता दें कि खुफिया सूत्रों का कहना है कि आतंकियों ने स्थानीय चुनाव से पहले लोगों में खौफ पैदा करने की कोशिश की है। इसके साथ ही वे पुलिस कर्मियों को धमका रहे हैं। जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बेपटरी करने की उनकी मंशा पूरी हो सके। सरकार ने साफ कर दिया है कि किसी ने भी इस्तीफा नहीं दिया है। गृह मंत्रालय के बयान के मुताबिक J&K में 30,000 SPOs तैनात हैं और सेवाओं की समय-समय पर समीक्षा की जाती है। आगे कहा गया, ‘जिन SPOs की सेवाएं प्रशासनिक कारणों से आगे नहीं बढ़ाई गई, कुछ शरारती तत्व उनके इस्तीफे को उछाल रहे हैं।
SPO आम नागरिक ही होते हैं
वहीं पहले आतंकी जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवानों का अपहरण और हत्याएं करते थे लेकिन अब वे SPOs को निशाना बना रहे हैं। एक अधिकारी ने कहा कि इसकी एक बड़ी वजह यह है कि SPO आम नागरिक ही होते हैं और उनके पास हथियार भी नहीं होते हैं। ऐसे में उन्हें टारगेट करना आसान हो जाता है। जम्मू-कश्मीर में करीब 30 हजार SPOs (ज्यादातर घाटी में) तैनात हैं। SPOs को सेवा के पहले साल में प्रति महीने 5,000 रुपये मिलते हैं, दूसरे साल से 5,500 रुपये और तीसरे साल से 6,000 रुपये प्रति महीना मिलने लगते हैं।
शॉर्ट-टर्म ट्रेनिंग कोर्सेज कराए जाते हैं
साथ ही उन्हें शॉर्ट-टर्म ट्रेनिंग कोर्सेज कराए जाते हैं। खास बात यह है कि इनमें से केवल 1% से 2% ही आतंकवाद विरोधी (CI)ग्रिड में शामिल होते हैं। बाकी ट्रैफिक, पर्यटन और दूसरे सरकारी विभागों के लिए काम करते हैं। CI ग्रिड में शामिल SPOs को ही एके-47 राइफल मिलती है, अन्य को कोई हथियार नहीं दिए जाते हैं। हाल में उन्हें कोई बीमा सुरक्षा भी नहीं दी गई थी। अब ड्यूटी के दौरान उनकी हत्या पर 11 लाख रुपये मुआवजा की व्यवस्था की गई है। करीब 200 से 300 SPOs और कुछ पुलिस कॉन्स्टेबल्स ऐसे हैं जो आतंकी संगठनों से लिंक के कारण सरकार के रेडार पर हैं।