टोक्यो ओलंपिक में इतिहास रचने के बाद भारतीय खिलाड़ियों ने टोक्यो पैरालंपिक में भी कीर्तीमान रच दिया है। पैरालंपिक में भारत को 10वें दिन तीन पदक मिले। इसके साथ ही भारत ने 13 पदक जीत लिए हैं।
तीरंदाजी में हरविंदर सिंह ने जीता कांस्य पदक
टोक्यों ओलंपिक में भारत ने जहां 100 साल का सूखा पूरा करते हुए गोल्ड मेडल जीतकर नया इतिहास रच दिया था। वहीं अब टोक्यो पैरालंपिक में भारतीय खिलाड़ी एक के बाद एक रिकॉर्ड बना रहे हैं। भारत ने अब तक 13 पदक अपने नाम कर लिए हैं। जिन्में से 2 गोल्ड 6 सिलवर और 5 ब्राउंड मेडल जीत लिए हैं। टोक्यो में जारी पैरालंपिक खेलों का 10वें दिन भारत के लिहाज से अभी तक काफी अच्छा साबित हुआ है। देश को अभी तक 3 पदक मिले हैं। प्रवीण कुमार ने ऊंची कूद (टी-64 स्पर्धा) में रजत तो अवनि लेखरा ने निशानेबाजी (50 मीटर राइफल की पी-3 एसएच-1 स्पर्धा) में कांस्य पदक अपने नाम किया वहीं तीरंदाजी में हरविंदर सिंह ने कांस्य पदक अपनी झोली में डाला।
भाविना पटेल ने दिलाया था पहला पदक
टोक्यो पैरालंपिक में टेबल टेनिस खिलाड़ी भाविना पटेल ने गेम्स के तीसरे दिन रजत पदक जीतकर भारत का खाता खोला था। 34 साल की भाविना ने क्वार्टर फाइनल में सर्बिया की बोरिस्लावा रांकोविच को हराकर पदक पक्का कर लिया था. इसके बाद भाविना ने सेमीफाइनल में चीन की ही झांग मियाओ को मात देकर फाइनल में जगह बनाई थी।
निषाद कुमार ने जीता रजत पदक
वहीं निषाद कुमार ने पुरुषों की ऊंची कूद में 2.06 मीटर की उछाल भरते हुए एशियाई रिकॉर्ड की बराबरी की और एक और रजत पद भारत के नाम किया था। निषाद कुमार ने पहली कोशिश में 2.02 और दूसरे प्रयास में 2.06 मीटर की जंप लगाई।
अवनि लेखरा ने गोल्ड जीतकर जीता दिल
इसके बाद आयोजन का छठा दिन भारत के लिये शानदार रहा था। अवनि लेखरा ने 10 मीटर शूटिंग में गोल्ड जीता और विश्व रिकॉर्ड की बराबरी की। इसी दिन भाला फेंक में देवेंद्र झझारिया ने रजत पदक जीता और सिंदर सिंह गुर्जर ने कांस्य पर कब्जा जमाया। इस दिन भारतीय खिलाड़ियों ने पांच पदक जीते।
योगेश कथुनिया का सिल्वर पर कब्जा
योगेश कथुनिया ने पुरुषों के डिस्कस थ्रो 56 में भारत के लिए सिल्वर मेडल जीता था। उन्होंने अपने छठे और आखिरी प्रयास में 44.38 मीटर का सर्वश्रेष्ठ थ्रो कर पदक पर कब्जा कर लिया। ब्राजील के बतिस्ता डॉस सैंटोस क्लॉडनी (45.25) ने इस स्पर्धा का गोल्ड मेडल जीता था।
सुमित अंतिल ने दिलाया दूसरा गोल्ड
जैवलिन थ्रोअर सुमित अंतिल (एफ 64 वर्ग) ने भारत को इस पैरालंपिक खेलों का दूसरा स्वर्ण दिलाया था। सुमित ने रिकॉर्ड 68.55 मीटर जैवलिन फेंककर पीला तमगा अपने नाम किया। ऑस्ट्रेलिया के मिचाल बुरियन (66.29 मीटर) और श्रीलंका के डुलान कोडिथुवाक्कू (65.61 मीटर) ने क्रमश: रजत और कांस्य पदक जीते।
सुंदर सिंह गुर्जर ने जीता कांस्य पदक
जैवलिन थ्रोअर सुंदर सिंह गुर्जर ने F-46 वर्ग में ही भारत के लिए कांस्य पदक जीता। सुंदर सिंह गुर्जर ने 64.01 मीटर जैवलिन फेंका, जो इस सत्र में उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। सुंदर को जैवलिन के अलावा डिस्कस थ्रो और शॉटपुट में भी पारंगत है। शूटर सिंहराज ने पुरुषों के 10 मीटर एयर पिस्टल SH1 स्पर्धा में भारत के लिए कांस्य पदक जीता था। हरियाणा के रहने वाले सिंहराज ने फाइनल में 216.8 का स्कोर कर यह उपलब्धि हासिल की।
टोक्यो पैरालंपिक में भारत को मिली एक बढ़त, तिंरदाज हरविंदर सिंह ने जीता कांस्य पदक
मरियप्पन थंगावेलु ने रजत, शरद ने जीता कांस्य
हाई जंपर मरियप्पन थंगावेलु ने पुरुषों की ऊंची कूद टी-63 स्पर्धा में भारत के लिए रजत पदक जीता। था। मंगलवार को हुए मुकाबले में मरियप्पन ने 1.86 मीटर की जंप लगाकर यह कामयाबी हासिल की। अमेरिका के सैम ग्रेव (1.88 मीटर) की छलांग लगाते हुए इस इवेंट का गोल्ड मेडल हासिल किया। पुरुषों की ऊंची कूद टी-63 स्पर्धा में ही शरद कुमार ने भी भारत के लिए कांस्य पदक हासिल किया। शरद ने 1.83 मीटर का बेस्ट प्रयास कर यह उपलब्धि हासिल की. एक अन्य भारतीय पैरा एथलीट वरुण सिंह भाटी इस स्पर्धा में सातवें स्थान पर रहे।
1968 में पहली बार पैरालंपिक में भारत ने लिया हिस्सा
भारत ने पहली बार में 1968 में पैरालंपिक में हिस्सा लिया था। तब से लगातार हिस्सा ले रहा है। साल 2021 तक भारत के कुल 95 एथलीट्स पैरालंपिक में भाग लिये थे। टोक्यो पैरालंपिक में भारत का 54 खिलाड़ियों का दल भाग ले रहा है। अभी पैरालंपिक में पांच दिन बचे हैं। इन पांच दिनों में भारत को 23 से अधिक इवेंट्स में भाग लेगा।
2021 में अब तक का सबसे बेस्ट परफोर्मेंस
टोक्यो पैरालंपिक में भारत अब तक 2 स्वर्ण, 6 रजत और 5 कांस्य जीत चुका है। पैरालंपिक के इतिहास में इससे पहले भारत का सबसे बेहतर प्रदर्शन 2016 में रहा था, तब भारतीय खिलाड़ियों ने दो स्वर्ण, एक रजत व एक कांस्य अपने नाम किया था। इससे पहले में 1984 में भी भारत ने दो रजत और दो कांस्य जीते थे।