नई दिल्ली। हिंदुं कैलेंडर के अनुसार साल की शुरूआत 1जनवरी से नहीं बल्कि चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से होती हैं और इस बार की चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा 18 जनवरी को बड़ रही हैं । दुनियाभर में नए वर्ष का जश्न लोग अपने-अपने ढंग से मनाते हैं। हिंदुं कैलेंडर के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से नववर्ष का आंरभ होता हैं पर इसके पीछ एक बड़ा कारण हैं आज हम आपको बताएंकि कि क्यो चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को नव वर्ष के रुप में मनाते हैं और इसकी शुरूआत कब और कैसे हुई थी।
कैसे हुई शुरूआत
चैत्र के महीने के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि (प्रतिपद या प्रतिपदा) को ही ब्रह्मा ने सृष्टि की रचनी की थी। हमारा नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को शरू होता है| इस दिन ग्रह और नक्षत्र मे परिवर्तन होता है | हिन्दी महीने की शुरूआत इसी दिन से होती है
पेड़-पोधों मे फूल ,मंजर ,कली इसी समय आना शुरू होते है , वातावरण मे एक नया उल्लास होता है जो मन को आह्लादित कर देता है | जीवो में धर्म के प्रति आस्था बढ़ जाती है | इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया था | भगवान विष्णु जी का प्रथम अवतार भी इसी दिन हुआ था | नवरात्र की शुरुअात इसी दिन से होती है | जिसमे हमलोग उपवास एवं पवित्र रह कर नव वर्ष की शुरूआत करते है |
चारों ओर पकी फसल का दर्शन , आत्मबल और उत्साह को जन्म देता है। खेतों में हलचल, फसलों की कटाई , हंसिए का मंगलमय खर-खर करता स्वर और खेतों में डांट-डपट-मजाक करती आवाजें। जरा दृष्टि फैलाइए, भारत के आभा मंडल के चारों ओर। चैत्र क्या आया मानो खेतों में हंसी-खुशी की रौनक छा गई।
हिंदू नव वर्ष का महत्व
भले ही आज अंग्रेजी कैलेंडर का प्रचलन बहुत अधिक हो गया हो लेकिन उससे भारतीय कलैंडर की महता कम नहीं हुई है। आज भी हम अपने व्रत-त्यौहार, महापुरुषों की जयंती-पुण्यतिथि, विवाह व अन्य शुभ कार्यों को करने के मुहूर्त आदि भारतीय कलैंडर के अनुसार ही देखते हैं। इस दिन को महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा तो आंध्र प्रदेश में उगादी पर्व के रूप में भी मनाया जाता है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही वासंती नवरात्र की शुरुआत भी होती है। एक अहम बात और कि इसी दिन सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी। अत: कुल मिलाकर कह सकते हैं कि हिंदू नव वर्ष हमें धूमधाम से मनाना चाहिये।