Uncategorized

अखिलेश यादव को विरासत में मिली राजनीति, ऐसे तय किया सांसद से मुख्यमंत्री बनने तक का सफर

akhilesh अखिलेश यादव को विरासत में मिली राजनीति, ऐसे तय किया सांसद से मुख्यमंत्री बनने तक का सफर

वो सफर जो शुरू तो राजनीतिक परिवार में जन्म लेने के साथ ही हो गया था लेकिन जनता के बीच अपनी पेंठ जमाने में के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा।

अखिलेश यादव को विरासत में मिली राजनीति

आज हम बात करेंगे अखिलेश यादव  के राजनीतिक सफरनामे के बारे में। वो सफर जो शुरू तो राजनीतिक परिवार में जन्म लेने के साथ ही हो गया था लेकिन जनता के बीच अपनी पेंठ जमाने में के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा। वरिष्ठ नेताओं को पछाड़कर एक युवा नेता के रूप में उभरे अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी को भी काफी मजबूत किया और आज भी उत्तर प्रदेश में बीजेपी के बाद अगर किसी पार्टी का खंभा मजबूत है तो समाजवादी पार्टी। तो चलिए जानते हैं अखिलेश यादव ने कैसे की अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत और अब तक कितनी बार चुनाव जीते और हारे हैं।

राजस्थान के मिलिट्री स्कूल में हुई प्राथमिक शिक्षा

पूर्व समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के सबसे बड़े बेटे अखिलेश यादव का जन्म 1973 में हुआ था। राजनीतिक घराने में जन्म लिया था तो जाहिर है कि राजनीति शुरू करने के लिए ज्यादा संघर्ष नहीं करना पड़ा होगा। लेकिन राजनीति में अपनी पहचान बनाने के लिए अखिलेश यादव को काफी उतार चढ़ाव देखने पड़े हैं। अखिलेश यादव का कालेज दिनों में राजनीति के क्षेत्र में कोई रूझान नहीं था और उन्होंने कभी छात्र संघ के चुनाव तक नहीं लड़े। उनकी प्राथमिक शिक्षा राजस्थान के मिलिट्री स्कूल धौलपुर से हुई। इसके बाद मैसूर के एसजे कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंस से स्नातक की उपाधि प्राप्त की।  अखिलेश यादव ने सिडनी विश्वविद्यालय से पर्यावरण अभियान्त्रिकी में स्नातकोत्तर भी किया। अखिलेश की शादी डिम्पल यादव से 1999 में हुई।

साल 2000 में शुरू हुआ अखिलेश का राजनीतिक सफर

अखिलेश सबसे पहले राजनीति में साल 2000 में आए। उन्होंने 26 साल की उम्र में कन्नौज उप चुनाव में जीत दर्ज करके लोकसभा में सीट पक्की की। यहीं से अखिलेश यादव राजनीति में सक्रिय हुए। मुलायम सिंह के बेटे अखिलेश यादव साल 2004 में हुए आम चुनावों में दूसरी बार लोकसभा के लिए चुने गए। इस दौरान वह शहरी विकास समिति, विभिन्न विभागों के लिए कंप्यूटर के प्रावधान पर एक कमेटी, विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर समिति और पर्यावरण एवं वन संबंधी समिति के भी सदस्य रहे। साल 2004 और 2009 के लोकसभा चुनावों में भी अखिलेश ने अपनी सीट बरकरार रखी। इसी दौरान 10 मार्च 2012 को अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का नेता चुना गया।

महज 38 साल की उम्र में बन गए मुख्यमंत्री

साल 2012 में हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को जबरदस्त सफलता मिली और इसका कारण अखिलेश यादव की ही रणनीति को बताया गया। मुलायम सिंह यादव ने उन्हें सरकार की कमान सौंप दी। 15 मार्च 2012 को अखिलेश ने सिर्फ 38 साल की उम्र में राज्य के 20वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। इसके बाद उन्होंने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया और वह विधान परिषद के लिए चुने गए।

2017 में बनाए गए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष

इसके बाद अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी को डोर धीरे-धीरे अपने हाथों में लेनी शुरू कर दी। 1 जनवरी 2017 को अखिलेष यादव को मुलायम सिंह यादव के स्थान पर सपा का अध्यक्ष बनाया गया था। इसके बाद दिसंबर 2017 में उन्हें फिर से पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया। अखिलेश का सपा के अध्यक्ष पद पर दोबारा निर्वाचन महज औपचारिकता था, क्योंकि उन्हें चुनौती देने वाला कोई और उम्मीदवार नहीं था।

Related posts

पंचायत चुनाव की तैयारियां हुई तेज, यूपी पुलिस के कई अफसरों का बदल गया पता

Aditya Mishra

सेना के जवान पर लगाया धोखाधड़ी का आरोप

Rani Naqvi

BMC चुनाव : पहले 2 घंटे 8 फीसदी हुई वोटिंग

shipra saxena