लखनऊ। बाबरी विध्वंस मामले में भाजपा के शीर्ष नोताओं समेत विहिप के धर्माचार्यों पर आखिरकार सीबीआई की विशेष कोर्ट ने आरोप तय कर दिए हैं। जिसके बाद इन नेताओं को कोर्ट से करारा झटका लगा है। कोर्ट ने इस मामले में इन सभी आरोपियों के खिलाफ 120 बी के तहत अब मामला चलाये जाने को तैयार है।
कोर्ट ने इन सभा समेत 12 आरोपियों पर इस मामले में चार्जफ्रेम किया है। हांलाकि इन आरोपियों ने इस मामले में कोर्ट से अपील की थी कि उनका कोई दोष नहीं है। उन्हें इस मामले में बरी किया जाना चाहिए। उन सभी लोगों को डिस्चार्ज किया जाना चाहिए। लेकिन अदालत ने इनकी बातों को नहीं मानते हुए इनके ऊपर चार्ज फ्रेम करते हुए इन पर मुकदमा चलाने की बात कही है।
क्या था पूरा प्रकरण
6 दिसम्बर 1992 में अयोध्या में स्थित विवादित ढांचे को कारसेवकों की उन्मादी भीड़ ने गिरा दिया था। इस मामले में दो एफआईआर दर्ज कराई गई थी। एफआईआर नंबर 197/1992 यूपी स्टेट बनाम अज्ञात कारसेवक थी। तो दूसरी एफआईआर 198/1992 अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, एलके आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, विष्णु हरि डालमिया, विनय कटियार, उमा भारती, अशोक सिंघल और साध्वी ऋतम्भरा समेत अन्य पर दर्ज की गई थी। इन पर आरोप था कि भीड़ को आक्रोशित कर सुनियोजित ढंग से विवादित ढांचे को गिराने के लिए इन लोगों ने साजिश रची थी।
इसके बाद तारीख दर तारीख केवल तारीख पड़ती रही । ये पूरी कहानी बस तारीखों तक सिमटी थी। लेकिन 19 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक आदेश देते हुए इनकी जल्द से जल्द सुनवाई कर मामले को खत्म करने का आदेश दिया था। जिसके बाद इन आरोपियों को कोर्ट से सम्मन जारी हुए थे। आज कोर्ट में आडवानी समेत 12 आरोपियों ने हाजिर हो कर पहले अपनी जमानत कराई। इसके बाद इस मामले मे डिस्चार्ज की अपील की लेकिन कोर्ट ने इन्हे डिस्चार्ज ना करते हुए इन पर आरोप तय किया है।