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सपा, बसपा, रालोद और कांग्रेस का गठबंधन पा सकता है 54 फीसद वोट: कृष्णमोहन सिंह

01 सपा, बसपा, रालोद और कांग्रेस का गठबंधन पा सकता है 54 फीसद वोट: कृष्णमोहन सिंह

नई दिल्ली। सपा और बसपा का गठबंधन अभी हुआ नहीं, उ.प्र. में लोकसभा की दो सीटों पर हुए उप चुनाव में बसपा ने सपा को केवल सहयोग किया था। महज उसी समर्थन की घोषणा की बदौलत दोनों सीटें सपा ने जीत लीं। इसी से सत्ताधारी दल के विधायकों, सासंदों और प्रबंधकों को भय लगने लगा है कि यदि ये दोनों पार्टी गठबंधन करके लोकसभा चुनाव लड़ीं, तो मुसलमान भी एकजुट होकर इनके साथ हो जायेगा। कांग्रेस के साथ भी गठबंधन होगा और रालोद को भी गठबंधन में शामिल होना ही होगा तो इन्हें हराना बहुत मुश्किल हो जायेगा। इस बारे में भाजपा के विधायकों, सांसदों और मंत्रियों से लगायत रणनीतिकार, कूटनीतिकार, प्रबंधकार तक उ.प्र. की जातियों और उनके मतों के समीकरण बैठाने, जोड़-घटाव, गुणा-भाग करने में माथा लगा रहे हैं। उससे जो निकलकर आ रहा है, सिर चकराने वाला है।

01 सपा, बसपा, रालोद और कांग्रेस का गठबंधन पा सकता है 54 फीसद वोट: कृष्णमोहन सिंह

बता दें कि काशी हिन्दू विश्व विद्यालय, वाराणसी (बीएचयू) छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष अनिल श्रीवास्तव ने बताया कि हाल ही में दिल्ली गये थे। अपने एक परिचित भाजपा नेता जो बीएचयू से ही पढ़े हैं और केन्द्र सरकार में राज्य मंत्री हैं, से मिलने चला गया। उ.प्र. में सपा-बसपा गठबंधन के संभावना की बात चली तो उन्होंने बिना लाग-लपेट के कहा, ‘श्रीवास्तवजी, यदि सपा-बसपा का गठबंधन हो गया तो सपा, बसपा और मुसलमान मिलकर ही लगभग 54 प्रतिशत मत हो जाता है। इसमें कांग्रेस भी साथ हो गई तो यह और अधिक हो जायेगा। फिर तो हम अपने क्षेत्र में कितना भी विकास कार्य कर रहे हैं, जीत नहीं पायेंगे।’
उन्होंने जो कहा उसकी पुष्टि आंकड़े भी कर रहे हैं।

वहीं 2014 के भाजपा– मोदी लहर वाले लोकसभा चुनाव में उ.प्र. में भाजपा को 42.30 प्रतिशत के करीब और उसके सहयोगी दलों को मिले मत को मिलाकर लगभग 43.30 प्रतिशत मत मिले थे। उस लोकसभा चुनाव में बसपा, सपा और कांग्रेस अलग-अलग चुनाव लड़ी थी। सपा को 22.20 प्रतिशत, बसपा को 19.60 प्रतिशत और कांग्रेस को 7.50 प्रतिशत मत मिले थे। इन तीनों राजनीतिक दलों को मिले मत का योग 49.30 प्रतिशत हो जाता है और यह भाजपा से करीब छह प्रतिशत अधिक है। ऐसे में यदि उ.प्र. में 2019 के लोकसभा चुनाव में भी 2014 वाली भाजपा-मोदी लहर रही तो भी सपा, बसपा अौर कांग्रेस ही मिलकर गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ जायें तो मुसलमान वोट एकजुट होकर पूरी तरह इनके साथ हो जायेगा।

साथ ही दलित मतदाता एकजुट हो जायेंगे। यादव, मल्लाह आदि मतदाता सपा के चलते इस गठबंधन के साथ गोलबंद हो जायेंगे। कुछ ब्राम्हण और क्षत्रिय-वैश्य मतदाता इन दलों द्वारा प्रत्याशी बनाये जाने के चलते इस गठबंधन को वोट देंगे। इस गठबंधन में रालोद के शामिल होने के कारण कुछ प्रतिशत जाट मतदाता वोट देंगे। यह गठबंधन बनने के बाद जो माहौल बनेगा, उसके कारण भी कुछ प्रतिशत मतदाता इसकी तरफ आ जायेंगे। ये सब मत मिलाकर 54 प्रतिशत के लगभग हो जा रहे हैं। यह हालत तब रहेगी, जब 2014 के मोदी–भाजपा लहर के माहौल में ही चुनाव हो। जबकि उ.प्र. में 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा का मत प्रतिशत 2014 से 3 प्रतिशत कम हुआ है।

बता दें कि वर्ष 2014 में भाजपा को राज्य में 42.30 प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में उससे तीन प्रतिशत कम 39.7 प्रतिशत वोट मिले। अब 2017 से हालात और खराब ही हुए हैं। ऐसे में राज्य में सपा-बसपा-कांग्रेस-रालोद का गठबंधन हो गया तो इस गठबंधन को आगामी लोकसभा चुनाव में 54 प्रतिशत तक वोट मिल सकते हैं। इसे रोकना भाजपा के लिए मुश्किल होगी।

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