नई दिल्ली। केरल के बहुचर्चित सौम्या बलात्कार एवं हत्याकांड पर आज एक फैसला सुनाते हुए उच्चतम न्यायालय ने दोषी गोविन्दाचामी को हत्या के अपराध से दोषमुक्त करते हुए उसकी फांसी की सजा को निरस्त कर दिया। न्यायालय नें गोविन्दाचामी को साथ बलात्कार का दोषी करार दिया और सात वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई।न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति पी सी पंत और न्यायमूर्ति यू यू ललित की पीठ ने केरल उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ गोविन्दाचामी की अपील आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए उसके विरुद्ध हत्या का अपराध समाप्त कर दिया। इसके साथ ही न्यायालय ने हत्या के लिए उसे दी गई फांसी की सजा भी निरस्त कर दी।
गौरतलब है कि एक फरवरी 2011 की इस घटना में अपीलकर्ता को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत बलात्कार का दोषी जरूर ठहराया और इसके लिए उसे सात साल की सश्रम कारावास की सजा भी सुनाई। यह घटना उस वक्त घटी थी जब सौम्या एमजी एर्नाकुलम-शोरनुर सवारी गाड़ी से कोच्चि से शोरनुर लौट रही थी। सौम्या को महिला डिब्बे में अकेली यात्रा करते देख बलात्कार एवं लूटपाट के इरादे से गोविंदाचामी उसमें घुस गया था।गोविन्दचामी भी महिलाओं के डिब्बे में चढ़ा और उसने सौम्या के साथ लूटपाट की। जब सौम्या ने विरोध किया तो गोविन्दचामी ने उसे चलती ट्रेन से नीचे फेंक दिया।फिर खुद भी ट्रेन से कूद गया और सौम्या के साथ बलात्कार किया।
अगले दिन रेलवे ट्रैक के किनारे सौम्या जख्मी हालत में मिली थी। 6 फरवरी को इलाज के दौरान त्रिशूर के अस्पताल में उसकी मौत हो गई। गोविन्दचामी गोविन्दचामी तमिलनाडु का रहने वाला है। वह आदतन अपराधी है। 2004 से 2008 के बीच वह आठ मामलों में दोषी साबित हो चुका है।