नई दिल्ली। सोनम कपूर आजकल अपनी शादी की खबरों की वजह से सुर्खिया बटोर रहीं हैं। लेकिव क्या आपको पता है कि पता है कि सोनम इस समय एत बीमारी से पीड़ित है जी हां…बॉलीवुड की फैशनिस्ता सोनम कपूर 8 मई को शादी के बंधन में बंध जाएंगी। छरहरी काया वाली सोनम आज कई लड़कियों के लिए स्टाइल आइकन है। लेकिन आपको शायद ही मालूम होगा कि बॉलीवुड में आने से पहले सोनम का वजन 90 किलो था। उन्हें मधुमेह जैसी खतरनाक बीमारी थी, पर उन्होंने स्ट्रिक्ट डाइट और सही समय पर इन्सुलिन की खुराक की वजह से वे मधुमेह जैसी बीमारी को कंट्रोल कर सकीं।
सोनम कपूर टाइप-1 डायबिटिक है, यह एक दुलर्भ डायबिटिक का प्रकार है। उन्हें यह बीमारी 17 साल की उम्र से ही है। और इसे कंट्रोल में रखने के लिए उन्हें इंसुलिन लेना पड़ता है। इसके अलावा वह नियमित रूप से योग और एक्सरसाइज करती हैं, इसलिए वह इतनी चुस्त और फिट रहती हैं।
अपनी इस बीमारी से लड़ने के लिए सोनम मुख्य रुप से एक डीइट प्लान फॉलो करती है आइये आपको बताते है सोनम का डाइट प्लान
सोनम कम कार्बोहाइड्रेट और हाई प्रोटीन वाला फूड खाना ज्यादा प्रिफर करती है।
सोनम जैसे कि टाइप 1 डायबिटिक है तो दिनभर थोड़े थोड़े समय के अंतराल में में 5 बार खाती है। ब्रेकफास्ट: फल और अनाज (ओटमील) दोपहर का स्नैक: प्रोटीन शेक, ब्राउन ब्रेड और अंडे का सफेद भाग लंच: रोटी, सलाद, दाल और ग्रिल्ड चिकन या मछली शाम का स्नैक: ब्राउन ब्रेड और अंडे का सफेद का भाग डिनर: सूप, सलाद और ग्रिल्ड चिकन या मछली इसके अलावा अगर उन्हें कभी भूख लग जाए तो वो फल और मेवा खाना पसंद कर देती है। बॉडी को हाइड्रेटेड रखने के लिए नारियल पानी, खीरे का जूस या फिर मठ्ठा पीती हैं।
बच्चो को जल्द होने की संभावना
यूं तो ये बीमारी सभी को हो सकती है पर मुख्य रुप से और जल्द ही ये बीमारी बच्चों को अपनी गिरफ्त में ले लेती है। टाइप 1 डायबिटीज़ होने की सम्भावना ज्यादा बच्चों और युवा वयस्को को होती है। बीमारी बचपन में किसी को भी हो सकती है। लेकिन यह अक्सर 6 से 18 साल की उम्र वाले बच्चों को ज्यादा होती है। भारत में टाइप 1 डायबिटीज से बहुत ही कम लोग पीडित हैं, जिसमें भारत में 1% से 2% तक लोगों को ही यह बीमारी है। अगर आपके घर में ये बीमारी किसी को है तो आपको भी यह बीमारी होने की सम्भावना रहती है।
इस बीमारी में क्या होता है
हमारे अग्नाशय से एक “इन्सुलिन” नाम के हार्मोन का स्राव होता है| हम जो भी भोजन खाते हैं वह पचने के बाद ग्लूकोज में परिवर्तित हो जाता है| यह ग्लूकोज “एनर्जी” में परिवर्तित होकर हमारी मांशपेशियों तक पहुँचती है जिससे शरीर को एनर्जी मिलती है और ग्लूकोज को एनर्जी में बदलने का कार्य यह “इन्सुलिन” हार्मोन ही करता है। टाइप 1 डायबिटिज में अग्नाशय में इन्सुलिन बनना जब बंद हो जाता है तो चयापचय क्रियाएं यानी मेटाबॉलिज्म की दर प्रभावित होने लगती हैं।
क्या है इस बीमारी के लक्ष्ण
-इस बीमारी के मुख्य रुप से कई प्रकार के लक्ष्ण है जैसें-ट
-जो भी इस बीमारी से पीड़ित होता है कि उसे बार बार पेशाब आती है।
-उसके शरीर में पानी की कमी होती जाती है।
-उसकी दिल की धड़कन अचानक से बढ़ जाती है।
-उसका वजन तेजी से कम होने लगता है
-उसकी भूख बढ़ जाती है।
-बहुत ज्यादा थकावट महसूस होती है।
-त्वचा सूख जाती है।
-मतली या उल्टी होने लगती है।
-पेट दर्द रहता है।
-सांस लेने में कठिनाई होती है।
-किसी भी चीज पर ध्यान लगाने में कठिनाई होती है।
सोनम दी वेडिंग की ऐसे हो रहीं हैं तैयारियां
कैसे रखते है नियंत्रित
जो भी व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित होता है उसे खून में ब्लड शुगर के लेवल को मेंटेन करने के लिये नियमित इन्सुलिन इंजेक्शन लेना पड़ता है। इसके साथ ही सही प्रकार का आहार और नियमित व्यायाम तथा योग करना चाहिये।
जिसके जरिए वो इस बीमारी से अपने आप को स्वस्थ रख सकते हैं।