नई दिल्ली।। सुप्रीम कोर्ट में बीते गुरुवार को एक विचित्र मामला आया। बेंगलुरु के एक व्यक्ति ने अपने स्वर्गीय पिता के आधार कार्ड के लिए जुटाए गए बायोमेट्रिक डेटा वापस दिलाने की मांग की है। संतोष मिन बी नामक इस व्यक्ति की दलील है कि चूंकि उनके पिता की मौत हो चुकी है, इसलिए भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) के लिए उनके डेटा का कोई इस्तेमाल नहीं है, बल्कि उसके दुरुपयोग की आशंका है।
बता दें कि एक आयुर्वेदिक क्लीनिक में काम करने वाले संतोष ने कोर्ट से यह भी कहा कि उनके पिता बेंगलुरु में भविष्य निधि कार्यालय में ‘लाइफ सर्टिफिकेट’ जमा कराने में अपमानित महसूस होने कारण चल बसे, क्योंकि बुढ़ापा और मोतियाबिंद के ऑपरेशन के कारण उनके बायोमेट्रिक का सत्यापन नहीं हो पाया।
वहीं प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने संतोष को अपनी बातें रखने के लिए दो मिनट का समय दिया। इस दौरान संतोष ने आधार स्कीम को ‘अघोषित आपातकाल’ करार देते हुए कहा कि यह अदालत यूआइडीएआइ को उनके पिता के बायोमेट्रिक का प्रिंट देने का निर्देश दे ताकि वह उसे अगली पीढ़ी के लिए संजो सकें। उन्होंने आधार स्कीम को खत्म करने की मांग करते हुए कहा कि उनके पिता हमारे इतिहास के काले दिन 31 दिसंबर, 2016 को चल बसे। जिस दिन नोटबंदी की घोषणा के बाद नोट बदलने का समय समाप्त हुआ था।
साथ ही इस पर कोर्ट ने उन्हें टोकते हुए कहा, ‘हम आपको कोई भाषण देने की अनुमति नहीं देंगे। यदि आप चाहें तो कानून के सवाल पर तर्क दे सकते हैं लेकिन आपको भाषण देने की इजाजत नहीं है।’ कोर्ट ने उनकी दलीलें रिकॉर्ड पर लेते हुए अगली सुनवाई 20 मार्च को तय की है। पीठ आधार की संवैधानिक वैधता तथा संबंधित कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।