लखनऊ। योगी के कुर्सी संभालते ही प्रदेश के तमाम बूचड़खानों पर ताले लगने का सिलसिला जारी है। बूचड़काने बंदा होने के बाद प्रदेश के लोगों जो नॉनवेजिटेरियन खाने के शौकीन है उनके शौक पर खतरा मंडराने लगा है। देश में नॉन वेजिटेरियन खाने का शायद ही ऐसा कोई शौकीन हो जिसने लखनऊ के टुंडे कबाब का नाम ना सुना हो। जो भी शख्स खाने का शौकीन है वो लखनऊ जाए और टुंडे कबाब और परांठों का मजा ना लें ऐसा शायद ही होता है।
100 सालों के इतिहास में बुधवार को ऐसा पहला दिन था जब लखनऊ की इस दुकान पर ताला लगा हुआ था। बताय़ा जा रहा है कि दुकान गोश्त की सप्लाई ना होने की वजह से बंद रही।
दुकानदारों का कहना है कि गोश्त सप्लाई ना होने के कारण दुकानें बंद हो रही है। सिर्फ कबाब ही नहीं बल्कि बिरयानी, मीट और अन्य दुकानें जहां पर गोश्त से कुछ ना कुछ बनता है वो बंद हो रही है। कहीं पर अगर नॉनवेज मिल भी रहा है तो उसकी कीमत इतनी ज्यादा कर दी गई है कि कोई खरीद नहीं पा रहा है। बता दें कि लखनऊ, इलाहाबाद, वाराणसी समेत प्रदेश के अन्य जगहों पर छापेमारी करके अवैध बूचड़खानों को सील किया जा रहा है।
कैसे बनता है टुड़े कबाब
टुंडे कबाब लखनऊ के हजरतगंज बाजार में सबसे प्रख्यात खानों में शुमार है, ये भैंस के मीट से बनाया जाता है। लेकिन अब इस दुकान पर चिकन और मटन के कबाब मिल रहे हैं।जो भैंस का मांस उपलब्ध कराते थे उन बूचड़खानों को बुधवार को प्रशासन ने कागजात सही न कहकर बंद कर दिया है। एक अनुमान के मुताबिक सिर्फ एक ही दुकान पर रोजाना 25 किलो से ज्यादा भैंस का मीट सप्लाई किया जाता है।