नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच छठी रणनीतिक आर्थिक वार्ता (एसईडी) नई दिल्ली में संपन्न हुई जिसमें दोनों पक्षों द्वारा इस बात पर सहमत व्यक्त की गई कि द्विपक्षीय व्यापार और निवेश के प्रवाह को सुविधाजनक बनाने तथा दोनों पक्षों के बीच आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एसईडी एक महत्वपूर्ण तंत्र के रूप में उभरा है।
नई दिल्ली में, 7 से 9 सितंबर, 2019 तक आयोजित होने वाली इस वार्ता में बुनियादी ढांचा, ऊर्जा, उच्च तकनीक, संसाधन संरक्षण और नीति समन्वय पर संयुक्त कार्य समूहों की गोलमेज बैठकें की गई, जिसके बाद तकनीकी स्थलों का दौरा और गुप्त G2G बैठकें हुईं। इस वार्ता में दोनों पक्षों की ओर से नीति निर्माण, उद्योग और शिक्षा के वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इस वार्ता में, भारतीय पक्ष का नेतृत्व नीति आयोग के उपाध्यक्ष, डॉ राजीव कुमार ने और चीनी पक्ष का नेतृत्व एनडीआरसी के अध्यक्ष, श्री हे लिफेंग ने किया। बातचीत के दौरान, नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार ने भारत और चीन के बीच व्यापार असंतुलन को दूर करने के लिए ठोस कदम उठाने पर बल दिया। दोनों पक्षों के बीच छह कार्य समूहों के व्यावहारिक और परिणाम उन्मुख विचार-विमर्श के माध्यम से निम्नलिखित विषयों पर आपसी सहमति बनी:
नीति समन्वय: दो पक्षों ने व्यापार और निवेश के वातावरण की समीक्षा के लिए गहन विचार-विमर्श किया, जिससे कि भविष्य में होने वाली अनुबंधों के लिए पूरक और वास्तविक तालमेल की पहचान की जा सके। नवाचार और निवेश में सहयोग के संभावित क्षेत्रों पर प्रकाश डाला गया जिसमें फिनटेक और उससे संबंधित प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित किया गया। दोनों पक्षों ने संचार के नियमित चैनलों को सक्रिय करने के लिए अपनी गतिविधियों के वार्षिक कैलेंडरों का आदान-प्रदान करने पर सहमति व्यक्त किया।
आधारिक संरचना पर कार्य समूह: दोनों पक्षों द्वारा चेन्नई-बैंगलोर-मैसूर रेलवे उन्नयन परियोजना के व्यवहारिक अध्ययन में उल्लेखनीय प्रगति और चीन द्वारा भारतीय रेलवे के वरिष्ठ प्रबंधन कर्मचारियों का व्यक्तिगत प्रशिक्षण का उल्लेख किया गया, जो दोनों कार्य पूरे किए जा चुके हैं। उन्होंने सहयोग के सभी क्षेत्रों में अपने अगले कदमों की पहचान करने के साथ-साथ पायलट सेक्शन के रूप में दिल्ली-आगरा हाई स्पीड रेलवे सेवा की संभावना को तलाश करने वाले प्रोजेक्ट के अध्ययन को आगे बढ़ाने पर भी विस्तृत चर्चा किया। दोनों पक्षों ने परिवहन क्षेत्र में उद्यमों का समर्थन देने के साथ-साथ सहयोग के लिए नई परियोजनाओं की पहचान करने पर भी सहमति व्यक्त किया।
हाई-टेक पर कार्य समूह: दोनों पक्षों ने 5 वीं एसईडी के बाद प्राप्त हुई उपलब्धियों का आकलन किया और व्यापार को आसान बनाने की नियामक प्रक्रियाओं, कृत्रिम बुद्धि का विकास, उच्च तकनीक निर्माण और दोनों देशों में अगली पीढ़ी के मोबाइल संचार पर विचारों का आदान-प्रदान किया। तकनीकी नवाचार, औद्योगिक स्थिति और सहयोग को बढ़ावा देने वाले तंत्रों के साथ-साथ भारत-चीन की डिजिटल भागीदारी, डेटा गवर्नेंस और संबंधित उद्योग नीति पर चर्चा हुई।
संसाधन संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण पर कार्य समूह: दोनों पक्षों ने जल प्रबंधन, अपशिष्ट प्रबंधन, अपशिष्ट निर्माण और विध्वंस और संसाधन संरक्षण के क्षेत्र में हुई प्रगति पर चर्चा और समीक्षा किया। दोनों पक्षों ने इस क्षेत्र में नवाचार की भूमिका पर भी विचार-विमर्श किया। कम लागत वाली निर्माण तकनीक, बाढ़ और कटाव नियंत्रण, वायु प्रदूषण आदि में नई प्रकार की अवधारणाओं के प्रभावी उपयोग पर भी चर्चा की गई। उन्होंने उभरते हुए क्षेत्रों, जैसे वेस्ट टू पावर, सीवेज गाद के साथ सेप्टेज का सह-प्रसंस्करण, झंझा जल प्रबंधन आदि में सहयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकताओं पर भी बल दिया। उपरोक्त क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए, दोनों पक्षों ने निरंतर बातचीत और संबंधित सूचनाओं का आदान-प्रदान को लगातार बनाए रखने पर सहमति व्यक्त किया।
ऊर्जा पर कार्य समूह: दोनों देशों ने भविष्य में सहयोग के लिए क्षेत्रों की पहचान किया और अक्षय ऊर्जा क्षेत्र, स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकी क्षेत्र, स्मार्ट ग्रिड और ग्रिड एकीकरण, स्मार्ट मीटर और ई-मोबिलिटी क्षेत्रों पर काम करने का भी संकल्प लिया। दोनों पक्षों ने वैकल्पिक सामग्री द्वारा सौर सेल के निर्माण के लिए नई तकनीक को विकसित करने और सौर सेलों की दक्षता में सुधार लाने के लिए अनुसंधान और विकास कार्यों में सहयोग पर सहमति व्यक्त किया। दोनों पक्ष ई-मोबिलिटी और ऊर्जा भंडारण के क्षेत्र में सहयोग करने पर भी सहमत हुए।
फार्मास्यूटिकल्स पर कार्य समूह: संयुक्त कार्य समूहों ने यह माना कि दोनों पक्षों में व्यावहारिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए संचार को और मजबूत करना चाहिए। यह भी तय किया गया कि दोनों पक्षों द्वारा व्यावहारिक सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए, दवा उद्योग में अनुपूरक लाभ को मजबूत करना चाहिए और भारतीय जेनेरिक दवाओं और चीनी एपीआई को बढ़ावा देने के लिए सहयोग की खोज करनी चाहिए। इससे दोनों देशों में फॉर्मास्यूटिकल उद्योग के विकास को लाभ मिलेगा।
दोनों समकक्षों ने द्विपक्षीय व्यावहारिक सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया और व्यावहारिक और परिणाम-उन्मुख विचार-विमर्श के माध्यम से ठोस नतीजों को प्राप्त किया। दोनों पक्षों ने बचे हुए प्रमुख मुद्दों के समाधान, सहयोग के संभावित क्षेत्रों की पहचान करने के लिए, दोनों पक्षों के बीच द्विपक्षीय आर्थिक और वाणिज्यिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए एसईडी तंत्र का उपयोग अति महत्वपूर्ण और स्थायी साधन के रूप में प्रभावी ढंग से करने पर सहमति व्यक्त की।
रणनीतिक आर्थिक वार्ता (एसईडी) की स्थापना, दिसंबर 2010 में चीनी प्रधानमंत्री, वेन जियाबाओ की भारत यात्रा के दौरान पूर्ववर्ती योजना आयोग और चीन के राष्ट्रीय विकास और सुधार आयोग (आयोडीआरसी) द्वारा की गई, एसईडी ने तब से लेकर अब तक द्विपक्षीय व्यावहारिक सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक प्रभावी तंत्र के रूप में काम किया है। नीति आयोग ने अपने गठन के बाद इस संवाद को अधिक गति प्रदान करते हुए इसे आगे बढ़ाया है। एसईडी के तत्वावधान में, दोनों पक्षों के वरिष्ठ प्रतिनिधि रचनात्मक विचार-विमर्श के लिए एक साथ आते हैं और व्यक्तिगत सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों को साझा करते हैं और सफलतापूर्वक व्यापार करने और द्विपक्षीय व्यापार तथा निवेश के प्रवाह को सुविधाजनक बनाने के लिए सेक्टर-विशिष्ट चुनौतियों और अवसरों की पहचान करते हैं।
दोनों पक्षों द्वारा, सह-अध्यक्षों (संयुक्त सचिव के पद से ऊपर) के साथ छठी स्थायी संयुक्त कार्यदल की नियुक्ति, संबंधित समकक्षों के बीच नियमित रूप से बातचीत और निरंतर आदान-प्रदान सुनिश्चित करते हुए बेहतर तरीके से बुनियादी ढांचे, ऊर्जा, उच्च तकनीक, संसाधन संरक्षण, फॉर्मास्यूटिकल्स और नीतिगत समन्वय के क्षेत्रों में आर्थिक और वाणिज्यिक मुद्दों का निपटारा संरचात्मक और परिणाम-उन्मुख तरीके से करने के लिए किया गया है।
संरचना:
भारतीय पक्ष में नीति आयोग (पहले योजना आयोग) और चीनी पक्ष में राष्ट्रीय विकास और सुधार आयोग (एनडीआरसी) एसईडी तंत्र का नेतृत्व करते हैं, जिसमें दोनों देशों की राजधानी में बारी-बारी से एक वार्षिक वार्ता का आयोजन वार्षिक रूप से किया जाता है। नवंबर 2012 को नई दिल्ली में आयोजित किए गए दूसरे एसईडी में, नीति समन्वय, अवसंरचना, पर्यावरण, ऊर्जा और उच्च प्रौद्योगिकी पर 5 स्थायी संयुक्त कार्यदलों का गठन करने का निर्णय लिया गया, जिससे कि एसईडी के अंतर्गत इन क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत किया जा सके। पांचवें एसईडी के बाद फॉर्मास्यूटिकल्स पर छठे संयुक्त कार्य समूह का भी गठन किया गया है।