कोलकाता। पीनारई ने इस फैसले में कांग्रेस का समर्थन करते हुए पश्चिम बंगाल से येचुरी के चयन के फैसले को खारिज कर दिया। इसके बाद पार्टी ने निर्णय लिया कि महासचिव सीताराम येचुरी को राज्यसभा के लिए नामांकित नहीं किया जाएगा। केंद्रीय समिति इस मुद्दे पर विभाजित थी, हालांकि हाथ उठाकर मतदान के जरिए यह फैसला किया गया। मतदान से पहले मामले पर करीब चार घंटे तक चर्चा हुई।
बता दें कि मीडिया से बात करते हुए विजयन ने कहा कि हमारी पार्टी महासचिव को राज्यसभा में भेजने के लिए कांग्रेस के समर्थन को स्वीकार करना हमारी राजनीतिक नियमों के विरुद्ध होगा। विजयन ने आगे बताया कि माकपा के महासचिव होते हुए वे संसदीय भूमिका उचित तरीके से नहीं निभा पाएंगे क्योंकि पार्टी के कार्यों के लिए उन्हें दौरा करना होता है। मेरा मानना है कि पार्टी महासचिव संसदीय जिम्मेवारियों को नहीं निभा सकता है। क्योंकि उसे अपने कार्यों के लिए देश का दौरा करना होता है।
साथ ही जो उन्हें राज्यसभा में देखने की चाहत रखते हैं वे जानते हैं कि येचुरी काबिल शख्स हैं। यह सच है कि वे काबिल और योग्य हैं लेकिन उनके उपर एक और जिम्मेवारी है। पार्टी नहीं चाहती है कि वे महासचिव की भूमिका के साथ किसी तरह का समझौता करें। माकपा महासचिव के तौर पर 2015 में येचुरी को नियुक्त किया गया था। पश्चिम बंगाल से राज्यसभा सदस्य के तौर पर येचुरी का कार्यकाल अगले महीने खत्म हो रहा है। इस सीट पर चुनाव आगामी 8 अगस्त को है और नामांकन दाखिल करने की आखिरी तिथि 28 जुलाई है।