नई दिल्ली। पाकिस्तान की ओर से लगातार आतंकियों की खेप भेजने की साजिश के मद्देनजर गुजरात में सरक्रीक सीमा की सुरक्षा सरकार की उच्च प्राथमिकता में आ गया है। इस इलाके में सुरक्षा घेरा बढ़ाने के बाद यहां बीएसएफ को नेवी और कोस्टल गार्ड के प्रशिक्षित जवानों की मदद भी निगरानी के लिए मिल सकती है। सरकार इस तरह के प्रस्ताव पर विचार कर रही है कि सरक्रीक सीमा को केवल बीएसएफ के भरोसे न छोड़ा जाए। सूत्रों ने कहा कि सुरक्षा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों के कई सुझाव सरकार को इस संबंध में मिले हैं। इनपर विचार किया जा रहा है।
बता दें कि सुरक्षा एजेंसी से जुड़े सूत्रों ने कहा कि कश्मीर में सुरक्षा बलों की भारी तैनाती की वजह से पाकिस्तान की निगाह सरक्रीक सीमा पर है। यहां से आतंकियों को भेजने का प्रयास किए जाने का पुख्ता खुफिया इनपुट एजेंसियों को मिला है। इसके चलते उच्च स्तर की सुरक्षा सतर्कता बरती जा रही है। सुरक्षा एजेंसी से जुड़े सूत्रों ने कहा कि सरक्रीक इलाके में पिछले दिनों पाकिस्तान के खाली बोट पकड़े गए थे इससे यह आशंका हुई कि पाकिस्तान इस इलाके से आतंकियों को भेजने की कोशिश कर रहा है। इसके बाद से पाकिस्तानी साजिश को नाकाम करने के लिए उच्च स्तरीय रणनीतिक चर्चाएं हुई हैं और निगरानी और सुरक्षा बढ़ाने के लिए कई तरह के विकल्पों पर गौर किया गया है।
वहीं सूत्रों ने कहा कि सरक्रीक सीमा पर पाकिस्तान की तरफ सुरक्षा और निगरानी का जिम्मा पाकिस्तान नेवी और पाक कोस्टल गार्ड़्स के पास है। लेकिन हमारे यहां बीएसएफ के पास ही निगरानी की जिम्मेदारी है। एक अधिकारी ने कहा कि सरकार को इस संबंध में पहले भी सुझाव दिए गए हैं कि बीएसएफ सीमा पर एक तरह से लैंड गार्डिंग फोर्स है। सरक्रीक का इलाका समुद्री इलाके जैसा है। यहां हरामी नाले का स्वरूप मौसम के मुताबिक बदल जाता है। ऐसी स्थिति में बीएसएफ की क्षमताएं कई बार अपर्याप्त लगती हैं।
साथ ही पूर्व एडीजी पी के मिश्र ने कहा कि सरक्रीक इलाके का जिम्मा इंडियन नेवी और कोस्टल गाड्र्स को सौंपना चाहिए। बीएसएफ को ही इस इलाके में रखना है तो उन्हें ज्यादा क्षमता वाले उपकरण प्रदान की जाए। यहां मानूसन में बीएसएफ कोई भी उपकरण कारगर नहीं रह जाता । जिससे यह इलाका कई बार अनगार्डेड रह जाता है। उन्होंने कहा कि सरकार को यहां अत्याधिक सतर्कता की जरूरत है क्योंकि पाकिस्तान की ओर चहलकदमी गंभीर साजिश की ओर इशारा करती है।