नई दिल्ली। भारत के रथ और ताबूत मिलने से सिनौली गांव एक बार फिर इतिहास लिखने जा रहा है और इतिहास के रहस्य भरे अध्याय से पर्दा उठा रहा है। बता दें कि सिनौली साइट पर साढ़े तीन माह की अवधि तक चला उत्खनन कार्य समाप्त हो चुका है। यहां किए गए उत्खनन से प्राप्त सभी पुरावशेषों को संरक्षित कर दिल्ली लालकिला संस्थान के लिए रवाना कर दिया है।
सबसे आखिरी में प्राचीन रथ और ताबूत को फ्रेम कर क्रेन से बाहर निकाला गया है। पुरा सामग्री को लेकर पुरातत्वविद दिल्ली देर रात रवाना भी हो जाएंगे। सूत्रों के अनुसार 15 फरवरी 2018 को सिनौली साइट पर एएसआई लालकिला संस्थान के निदेशक डॉ. संजय मंजुल के निर्देशन में उत्खनन कार्य शुरू किया गया था।
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बता दें कि एएसआइ की टीम ने लगभग 15-16 फुट खोदाई की तो जमीन से नर कंकाल, तांबे के दो कड़े, मिट्टी के बर्तन, बड़े मटके, खंडहरनुमा रसोई निकली। यह देख एएसआइ की टीम सोचने पर मजबूर हो गई। उसके बाद खोदाई बंद कर दी गई। एएसआइ की टीम ने लगभग 15-16 फुट खोदाई की तो जमीन से नर कंकाल, तांबे के दो कड़े, मिट्टी के बर्तन, बड़े मटके, खंडहरनुमा रसोई निकली। यह देख एएसआइ की टीम सोचने पर मजबूर हो गई। उसके बाद खोदाई बंद कर दी गई।
चर्चा का केंद्र बना सिनौली गांव
सिनौली साइट पर मिली इन रहस्मय भरी चीजें मिलने से बड़ौत-छपरौली मार्ग पर स्थित लगभग 18 हजार आबादी वाला सिनौली आज दुनिया बर में चर्चा का विषय बन चुका है। गांव के लोग दावा करते हैं कि गांव में जहां भी खोदाई होगी, वहां से रहस्य अवश्य उजागर होगा। घर-घेर ही नहीं, बल्कि कब्रिस्तान तक के नीचे अवशेष होने की बात भी सामने आ रही है। कई बार ऐसा भी हुआ है कि मकान की नींव की खोदाई करते समय भी मिट्टी के बर्तन आदि निकले हैं।