केदारनाथ मंदिर के तीर्थ पुरोहित करीब एक हफ्ते से मौन प्रदर्शन कर रहे हैं। ये सभी राज्य सरकार की ओर से बनाए गए देवस्थानम बोर्ड को खत्म करने की मांग कर रहे हैं। इस फैसले से चारधाम समेत 51 अन्य मंदिरों का निमंत्रण राज्य सरकार के पास आ गया है।
साल 2020 में हुआ था गठन
दरअसल ये बोर्ड साल 2020 में त्रिवेंद्र सिंह सरकार के कार्यकाल में गठित किया गया था। तब से ही इसका विरोध किया जा रहा है। वहीं गंगोत्री में भी तीर्थ पुरोहितों ने विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया है।
देवस्थानम बोर्ड की कार्यशैली पर ऐतराज
बता दें कि कुछ दिनों पहले देवभूमि तीर्थ पुरोहित महापंचायत की ऑनलाइन वार्ता हुई थी। जिसमें देवस्थानम बोर्ड की कार्यशैली पर कड़ा ऐतराज जताया गया था। इसमें निर्णय लिया गया था कि महापंचायत से जुड़ी सभी पंचायतें सीएम को ज्ञापन सौंपकर देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग करेंगी।
देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग
महापंचायत के पदाधिकारियों ने कई बार सीएम से मिलकर बोर्ड को भंग करने की मांग की है। लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया। जिससे तीर्थ पुरोहितों में नाराजगी है। पुरोहितों का कहना है कि पिछले साल बदरीनाथ मंदिर के कपाट खुलने की तिथि में बदलाव किया गया। और इस साल भगवान के अभिषेक और आरती के समय में बदवाल हुआ।
प्रदर्शन के लिए बाध्य होंगे तीर्थ पुरोहित
उन्होने कहा कि ये दोनों ही घटनाएं इतिहास में पहली बार हुई। तीनों धामों में पूजा के समय कोई बदलाव नहीं किया बस बद्रीनाथ धाम में ऐसा हुआ। अगर जल्द ही इस बोर्ड पर कोई फैसला नहीं लिया गया, तो तीर्थ पुरोहित प्रदर्शन के लिए बाध्य होंगे।