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Shyam Ekadashi Vrat 2020: इस तरह करें पूजा, जानें पूरी जानकारी 1 क्लिक पर

Shyam Ekadashi Vrat 2020
  • भारत खबर || धार्मिक डेस्क

Shyam Ekadashi Vrat 2020 : भारतीय धर्म में एकादशी का विशेष महत्व माना जाता है।  27 सितंबर को श्याम एकादशी है, इस दौरान हमें क्या करना चाहिए किन बिंदुओं का विशेष ख्याल रखना चाहिए। श्री कृष्ण भगवान की पूजा कैसे करें और इसका क्या महत्व है, इस बारे में आपको विस्तृत  रूप से बताएंगे-

भगवान श्री कृष्ण ने खाटू श्याम जी को महादान शीश के कारण वरदान दिया था कि द्वापर युग में प्रत्येक घर में खाटू श्याम जी का डंका बजेगा और वो पूजे जाएंगे। भगवान श्री कृष्ण के दिया आशीर्वाद के फल स्वरूप वर्तमान युग में भी खाटू श्याम जी (Shyam Ekadashi Vrat 2020) का दर्शन प्रत्येक घरों में करने को मिल जाता है और उनके भक्तों के एक लंबी श्रृंखला भी देखी जाती है।

श्याम बाबा का सबसे मुख्य दिन है श्याम एकादशी

श्री खाटू नरेश का मुख्य दिन शुक्ल पक्ष एकादशी को माना जाता है इस दिन को ग्यारस के नाम से भी पूजा जाता है और उसके बाद आने वाला द्वादशी के दिन इनकी ज्योत लेकर भोग में चूरमा बाटी का भोग लगाते है।

Shyam Ekadashi Vrat 2020 क्यों है बाबा को प्रिय

भगवान श्री कृष्ण की पूजा का सबसे मुख्य दिन एकादशी माना जाता है वैष्णो माता के मानने वाले मानते हैं कि भगवान विष्णु उनके सबसे प्रिय देवता है और श्री कृष्ण की पूजा उन्हीं के स्वरूप में की जाती है। क्योंकि खाटू श्याम श्री कृष्ण के वरदान के कारण ही पूजे जाते हैं इसलिए एकादशी को खाटू श्याम की पूजा मुख्य रूप से की जाती है और यह दिन ग्यारस (Shyam Ekadashi Vrat 2020) के रूप में मनाया जाता है।

Shyam Ekadashi Vrat 2020
Shyam Ekadashi Vrat 2020

यह सब तैयारियां की जाती हैं श्याम जन्मोत्सव पर

श्री कृष्ण के सबसे प्रिय बाबा खाटू श्याम जी के जन्मोत्सव पर एकादशी (Shyam Ekadashi Vrat 2020) के दिन मंदिर को भव्य तरीके से सजाया जाता है, उनकी मूर्ति को साफ सुथरा कर नए वस्त्रों को धारण कराया जाता है। खाटू श्याम जी मंदिर में कार्तिक शुक्ल एकादशी की की श्याम बाबा क शीश को दर्शनार्थ सुशोभित किया गया था। इसी कारण इस दिन श्याम बाबा का जन्मदिवस भी मनाया जाता है।

भारतीय ग्रंथों में वर्णन मिलता है कि खाटू श्याम बाबा ने महाभारत के युद्ध को देखने के लिए न्यायाधीश बनने से पहले फाल्गुन शुक्ल द्वादशी को अपने शीश का महा दान किया था। इस बलिदान के कारण उनके भक्त ज्योति लेकर खीर और चूरमे का भोग लगाते हैं और उसे खुश होकर लोगों में प्रसाद के तौर पर वितरित करते हैं।

 

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