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कल है कार्तिक पूर्णिमा, जानें समय और इस दिन क्या करने से खुश होते हैं प्रभु!

kartik purnima कल है कार्तिक पूर्णिमा, जानें समय और इस दिन क्या करने से खुश होते हैं प्रभु!

इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा विशेष है क्योंकि यह 30 नवंबर को 2020 के अंतिम चंद्रग्रहण के साथ मेल खाता है. कार्तिक पूर्णिमा को हिंदू चंद्र कैलेंडर के सातवें महीने कार्तिक की पूर्णिमा की रात को मनाया जाता है. हिंदुओं के लिए, कार्तिक सबसे शुभ महीनों में से एक है – एकमात्र महीना जो भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों को समर्पित है. कार्तिक पूर्णिमा को देव दिवाली, त्रिपुरी पूर्णिमा या त्रिपुरारी पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है. कार्तिक पूर्णिमा दीपावली के 15 दिन बाद, कार्तिक अमावस्या की रात होती है.
प्रत्येक वर्ष 12 पूर्णिमाएं होती हैं. जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 13 हो जाती है. कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है.

पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण का समय
29 नवंबर की दोपहर 12 बजकर 47 मिनट पर
30 नवंबर की दोपहर 2 बजकर 59 मिनट पर
ग्रहण प्रारंभ 30 नवंबर की दोपहर 1 बजकर 4 मिनट पर
ग्रहण मध्यकाल 30 नवंबर की दोपहर 3 बजकर 13 मिनट पर
ग्रहण समाप्त 30 नवंबर की शाम 5 बजकर 22 मिनट पर
कार्तिक पुर्णिमा के दिन मनाई जाती है गुरु नानक जयंती
गुरु नानक जयंती कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है. इस दिन देवों की दीवाली यानी देव दीपावली भी होती है. सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक जी के जन्म दिवस के दिन गुरु पर्व या प्रकाश पर्व मनाया जाता है. गुरु पर्व के दिन सिख धर्म के लोग अपनी श्रृद्धा के अनुसार सेवा करते हैं और गुरु नानक जी के उपदेशों यानी गुरुवाणी का पाठ करते हैं.

कार्तिक पूर्णिमा पर क्या करें-
-पूर्णिमा को स्नान अर्घ्य, तर्पण, जप-तप, पूजन, कीर्तन और दान-पुण्य करने से स्वयं भगवान विष्णु, प्राणियों को ब्रह्मघात और अन्य कृत्या-कृत्य पापों से मुक्त करके जीव को शुद्ध कर देते हैं.
-पूर्णिमा के दिन स्नान के बाद श्री सत्यनारायण की कथा का श्रवण, गीता पाठ, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ व ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जप करने से प्राणी पापमुक्त-कर्जमुक्त होकर विष्णु की कृपा पाता है.
-भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए इस दिन आसमान के नीचे सांयकाल घरों, मंदिरों, पीपल के वृक्षों और तुलसी के पौधों के पास दीप प्रज्वलित करने चाहिए, गंगा आदि पवित्र नदियों में दीप दान करना चाहिए.
-नारद पुराण के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा पर सम्पूर्ण सदगुणों की प्राप्ति एवं शत्रुओं पर विजय पाने के लिए कार्तिकेय जी के दर्शन करने का विधान है.

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