नई दिल्ली। आतंकवाद और कालेधन पर लगाम लगाने को लेकर भारत सरकार के नोटबंदी की पहल अब सफल होते दिख रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि नोटबंदी के फैसले के बाद से आतंकवाद और कालेधन पर खासा फर्क पड़ा है। जानकारियों के मुताबिक पाकिस्तान में इस फैसले के बाद से जाली नोटों को छापने वाले दो बड़े प्रेस कारखाने बंद हुए हैं, साथ ही आतंकवाद को मिल रही मदद में भी कमी आई है जिससे आतंकवाद की घटनाओं में भी गिरावट देखने को मिली है।
एक अंग्रेजी समाचार पत्र में छपी खबर के मुताबिक पाकिस्तान के क्वेटा और कराटी शहर के प्रेस में जाली नोटों को छापने का काम किया जाता रहा है, नोटबंदी के बाद से इन दोनों प्रेस कारखानों को बंद करना पड़ा है, बताया जा रहा है कि इस एक फैसले सेआतंकवाद और उसको लेकर सक्रिय संगठनों को खासा नुकसान का सामना करना पड़ा है, इसका प्रत्यक्ष उदाहरण नक्सल के मामलों में भी देखने को मिला है जहां पर बड़ी संख्या में नक्सलियों ने सरेंडर किया है।