उत्तराखंड

जीएसटी के विरोध में व्यापारियों ने दुकानें की बंद

gst जीएसटी के विरोध में व्यापारियों ने दुकानें की बंद

देहरादून। जीएसटी के विरोध में शनिवार को देहरादून के कपड़ा व्यापारियों ने दुकानें बंद रखी और गीता भवन से डीएम ऑफिस तक रैली निकाली। हालांकि, शहर में काफी दुकानें खुली भी नजर आईं। व्यापारियों ने कहा कि जीएसटी से इंस्पेक्टर राज होगा। अगर उनकी मांगें नहीं मानी तो उग्र आंदोलन होगा। व्यापारियों ने इसे लेकर डीएम के माध्यम से राज्य के सीएम और देश के प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा।

 

 

शनिवार को व्यापारियों ने रैली के माध्यम से कपड़ा व्यापार पर जीएसटी लगाए जाने का विरोध किया। व्यापारियों ने कहा कि सरकार द्वारा घोषित कपड़े पर प्रस्तावित पांच प्रतिशत जीएसटी लगाया जाना न्यायसंगत नहीं है। उन्होंने डीएम कार्यालय पर प्रदर्शन करते हुए जिलाधिकारी के माध्यम से राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज्ञापन भी भेजा।

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ज्ञापन में पांच प्रतिशत जीएसटी को खत्म किए जाने की मांग की। कपड़ा कमेटी के प्रधान अनिल कुमार गुप्ता ने कहा कि व्यापारी इसका पुरजोर विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले साठ वर्षों से कपड़ा व्यापार पर सरकार की ओर से कोई टैक्स नहीं है। अभी तक कपड़े को आम जनता की मूलभूत आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर टैक्स मुक्त रखा था।
पहले कपड़ा उत्पाद स्थल पर केंद्र सरकार द्वारा उत्पाद शुल्क ले लिया जाता था और उसके पश्चात कपड़े का पूरे भारत में स्वतंत्र व्यापार होता था। राज्य सरकारों को भी उत्पाद शुल्क का हिस्सा मिल जाता था पर अब केंद्र सरकार द्वारा पांच प्रतिशत जीएसटी लगाकर पूरे कपड़ा व्यापार को परेशान किया जा रहा है।
व्यापारियों ने कहा कि सरकार के इस कदम से महंगाई बढ़ेगी। ट्रांसपोर्ट के खर्च, टैक्स का के हिसाब-किताब रखना आदि परेशानियां भी व्यापारियों के सामने आएंगी। उन्होंने कि बीते 70 सालों में किसी भी इस प्रकार के कर नहीं लगाए गए हैं।
व्यापारियों ने कहा की जीएसटी लागू होने के बाद व्यापारी माल दुकान पर आने के बाद तुरंत उसे स्टॉक में दर्ज करने, बिक्री का पूरा हिसाब रखने, जीएसटी रिटर्न भरने, कागजी कार्रवाई करने और टैक्स जमा करने में ही लगा रहेगा। जरा सी चूक होने पर हर वक्त जेल जाने का भय भी रहेगा। ऐसे में व्यापारी व्यापार पर ध्यान भी कम दे पाएगा। व्यापारियों ने सरकार से अनुरोध किया कि कपड़े पर पांच प्रतिशत टैक्स को वापस लिए जाने की मांग की।

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