मुंबई। महाराष्ट्र सरकार में सत्ताधारी शिवसेना ने एक बार फिर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा है। राज्यपालों की नियुक्ति पर सवाल खड़े करते हुए पार्टी ने अपने मुखपत्र सामना में केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए लिखा कि राज्यपाल का पद राजनीतिक विचारों के कबाड़खाने में पड़े लोगों की व्यवस्था के लिए उपयोग में लाया जाता है।
शिवसेना के मुखपत्र सामना में राजभवन का ब्रांड बदला शीर्षक के साथ पार्टी ने लिखा है, राज्यपाल नियुक्ति के बारे मे जो कुछ कांग्रेसी शासन में घट रहा था, वही सब मोदी शासन में भी घटित हो रहा है, सिर्फ ब्रांड बदल गया है। राज्यपाल का मतलब जनता के पैसे पाने वाला सफेद हाथी है।
मुखपत्र सामना में राज्यपाल पद को लेकर केंद्र पर की तीखी टिप्पणी:-
– शिवसेना ने मुखपत्र के जरिए सवाल उठाते हुए लिखा है कि सवाल यह है कि राज्यपाल का पद चाहिए ही क्यों?
– यह सवाल वैसे ही पुराना है, फिर भी अपने-अपने राजनीतिक विचारों के कबाड़खाने में पड़े लोगो की व्यवस्था करने के लिए ही राज्यपाल पद का उपयोग किया जाता है।
– इसके अलावा मुखपत्र में लिखा है कि देशभर के मौजूदा राज्यपालों की सूची पर नजर घुमाएं तो यह बात आसानी से ध्यान में आ जाती है कि, अब तक इन पदों पर नियुक्त किए गए सारे लोग बीजेपी के कार्यकर्ता और नेता हैं। राज्यपाल, नायब राज्यपाल पद के कारण सत्ताधारी पार्टी के करीब 40 लोगों के लिए गाड़ी-घोड़ा, बंगला और अन्य सुविधाओं की व्यवस्था हो जाती है।
– लेख में बीजेपी पर निशाना साधते हुए आगे लिखा है कि इन पदों पर राजनीतिक कार्यकर्ताओं की नियुक्ती करनी होगी तो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के तेलगु देशम, अकाली दल, शिवसेना में भी पूर्व सांसद, पूर्व विधायक, पूर्व मंत्री आदि लोग कर्तव्य निभाने के लिए तैयार हैं।
– एकाध राजभवन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के हिस्से में आने पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
– अनुभवी और कर्तव्यनिष्ठ लोग मित्र दलों में भी भरपूर है, लेकिन सरकार 280 वाले चला रहे हैं, तब तक मित्रों की बातों को कोई सुनेगा ऐसा लगता नहीं है।