वाराणसी: काशी महादेव की नगरी है, यहां के कण-कण में शिव का वास है। सोमवार की शाम इस भक्ति का अद्भुत नजारा देखने को मिला, जहां एक साथ 1000 महिलाओं ने शिव तांडव स्त्रोतम का पाठ किया। यह नजारा बहुत ही अनोखा था।
अलग अलग 14 राज्यों की महिलाओं ने किया गायन
काशी के अस्सी घाट पर महादेव की भक्ति में सब रमे दिखे, यह अद्भुत नजारा अपने आप में सारी कहानी को बयां कर रहा था। शिवरात्रि का पर्व 11 मार्च को है लेकिन तैयारी अभी से जारी है। शिव तांडव स्त्रोत को गाने के लिए 14 राज्य की महिलायें सामने आईं, एक साथ जब सबने महादेव की आराधना शुरु की तो सभी नतमस्तक हो गये।
इस कार्यक्रम में केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली जैसे राज्यों से महिलाएं वाराणसी पहुंची थीं। सभी एक संस्था से जुड़ी हुई महिला हैं, जिन्होंने इस कार्यक्रम को करने की योजना बनाई। काशी वासियों के लिए भी यह नजारा काफी रोमांचक था।
हाथ में दीपक और मुख पर शिव तांडव स्त्रोत
सभी के हाथों में जलता हुआ दिया था और सभी ने एक जैसा परिधान भी पहना हुआ था। गंगा की पवित्र धारा के सामने घाट की सीढ़ियों पर सभी एक लाइन में खड़ी हो गई। अपने हाथों में जलता हुआ दिया लेकर सब ने महादेव को याद करना शुरू किया।
एक सुर में सभी ने शिव तांडव का गायन आरंभ किया। इस अद्भुत मौके पर ऐसा लग रहा था मानो भगवान स्वयं काशी में उतर आए हैं। शिव तांडव स्त्रोत की रचना रावण के द्वारा की गई थी, उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इसे उनके सामने प्रस्तुत किया। दशानन रावण को महादेव का सबसे बड़ा भक्त माना जाता है, उसने महादेव को प्रसन्न करने के लिए अपना शीश काटकर अर्पण कर दिया था।
कोरोना गाइडलाइन का हुआ पालन
सबसे दिलचस्प बात यह रही कि इस दौरान सभी ने कोरोना गाइडलाइन का भी पालन किया। फेस शील्ड और जरूरी दूरी पर खड़े होकर शिव तांडव स्त्रोत का गायन किया गया। गंगा किनारे खड़े होकर सभी ने शिव तांडव स्रोत का गायन करना अपना सौभाग्य बताया, महिलाओं ने कहा कि भगवान विश्वनाथ की नगरी में यह गायन करके बहुत ही अच्छा लगा।