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शिक्षक भर्ती धरना: शीर्ष नेताओं से अभ्यर्थियों की मुलाकातों का दौर जारी, मिल रहा सिर्फ मौखिक आश्वासन  

शिक्षक भर्ती धरना: शीर्ष नेताओं से अभ्यर्थियों की मुलाकातों का दौर जारी, मिल रहा सिर्फ मौखिक आश्वासन

लखनऊ: राजधानी स्थित एससीईआरटी कार्यालय पर 21 जून से 68,500 शिक्षक भर्ती की रिक्त पड़ीं 22,000 सीटों को 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती में जुड़वाने के लिए अभ्यर्थी डटें हुए हैं। पूरे प्रदेश से आए अभ्यर्थियों के इस धरने का शुक्रवार को 12वां दिन है। अभ्यर्थियों ने भारतखबर.कॉम को बताया है कि बीते दिन यानी गुरुवार को उनकी मुलाकात बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश चंद्र द्विवेदी से हुई है लेकिन वहां से फिर उन्हें मौखिक आश्वासन मिला है। वहीं अभ्यर्थियों का एक डेलिगेशन कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य से भी मिलने पहुंचा था। मंत्री द्वारा उन्हें आज फिर मिलने के लिए बुलाया गया है।

लिखित आश्वासन के इंतजार में अभ्यर्थी

पिछले 12 दिनों से SCERT कार्यालय पर धरना दे रहे अभ्यर्थियों का कहना है कि जबतक उन्हें लिखित आश्वासन नहीं मिल जाता तब तक वे यहां से हटने वाले नहीं है। अभ्यर्थियों ने रणनीति बनाई है कि वे सरकार और सत्तारूढ़ भाजपा से जुड़े हर व्यक्ति के पास अपनी समस्या लेकर जाएंगे और उनसे न्याय की गुहार लगाएंगे। सूत्रों के मुताबिक, अभ्यर्थियों का एक डेलिगेशन आज भाजपा के संगठन मंत्री सुनील बंसल से मिलने पहुंचा है।

सिर्फ मौखिक आश्वासन काफी नहीं

प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों का कहना है कि वे लगातार शीर्ष नेताओं व पार्टी से जुडे लोगों से मिल रहे हैं। अभ्यर्थियों की मुलाकात अब तक उत्तर प्रदेश सरकार के डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंन्त्र देव सिंह, बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश चंद्र द्विवेदी, कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या और उत्तर प्रदेश सरकार में कानून मंत्री बृजेश पाठक से हो चुकी है। मुलाकात में अभ्यर्थियों ने अपनी मांगों से जुड़ा एक ज्ञापन भी सौंपा है। अभ्यर्थियों का कहना है कि अबतक सिर्फ हमें मौखिक आश्वासन मिला है जो काफी नहीं है।

क्या है अभ्यर्थियों की मांग

बता दें कि राजधानी स्थित SCERT कार्यालय पर उत्तर प्रदेश के समस्त 75 जिलों से आए हुए अभ्यर्थियों के धरने का कारण 22000 रिक्त सीटें हैं। दरअसल, अभ्यर्थियों का कहना है कि 68500 शिक्षक भर्ती की 22,000 रिक्त सीटों को 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती में अतिशीघ्र जोड़ा जाए। अभ्यर्थियों का कहना है कि हम मानसिक व आर्थिक तौर पर पीड़ित हैं। उन्होंने कहा, ‘हमारी कोई सुनने वाला नहीं है, हम योग्य होकर भी नौकरियों से वंचित हैं। हमारे ऊपर बेरोजगार का ठप्पा लगा हुआ है।’

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