नई दिल्ली। सादगी से परिपूर्ण जीवन जीने वाले और देश को जय किसान जय जवान का नारा देकर भुक से मुक्ति दिलाने वाले देश दूसरे प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की आज 52वीं पुण्यतिथि है। कद में भले ही लालबहादुर शास्त्री छोटे थे, मगर हौसले और इरादे बहुत बुलंद थे। तभी तो ताशकंद समझौते के वक्त छोटे कद के प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान के घमंडी जनरल अयूब खान की अकड़ भुला दी थी। आपको ये जानकार हैरानी होगी कि देश का सबसे ताकतवर शख्स होने के बाद भी जब शास्त्री जी इस दुनिया से रुखसत हुए तो उनके पास संपत्ति के नाम पर केवल एक धोती-कुर्ता और कुछ किताबें ही थी। पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था।
लाल बहादुर के साथ ‘शास्त्री’ जुड़ने की कहानी भी काफी दिलचस्प है। काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय, जिसे आज बीएचयू कहा जाता है। उसने 1926 में लाल बहादुर को शास्त्री की उपाधि दी थी। वो भी पढ़ाई में उनके शानदार प्रदर्शन के लिए। ये कम ही लोगों को मालूम होगा कि उत्तरप्रदेश में मंत्री रहते वक्त, लाल बहादुर शास्त्री ही पहले शख्स थे, जिन्होंने लाठीचार्ज के बजाए प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए पानी की बौछार का इस्तेमाल शुरू किया। अब जब शादी में लोगों को बड़े-बड़े गिफ्ट मिलते है, तब शास्त्री जी लाखों लोगों के लिए मिसाल है। क्योंकि उन्होंने अपनी शादी में दहेज के रुप में केवल एक खादी का कपड़ा और चरखा लिया था। शास्त्री जी भले ही देश के प्रधानमंत्री रहे हों, मगर सादगी ऐसी कि वो कहीं भी धोती-कुर्ता पहने ही पहुंच जाते थे।
यही वजह थी कि एक बार जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें असभ्य कहा था। शास्त्री जी अपनी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के लिए जाने जाते थे। एक बार उनके बेटे को एक विभाग में अनुचित प्रमोशन मिल गया। फिर क्या था, जानकारी लगते ही शास्त्री जी ने इस फैसले को पलट दिया। साल 2004 में उनकी जन्म शताब्दी के मौके पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने उनके नाम पर सौ रुपये का सिक्का जारी किया था। हालांकि ये सिक्का प्रचलन में नहीं लाया गया। केवल ऑर्डर पर ही इसे उपलब्ध कराया जाता है। लाल बहादुर शास्त्री ने 11 जनवरी 1966 को ताशकंद में आखिरी सांस ली। हालांकि उनकी मौत को लेकर आज भी संदेह जताया जाता है।