बिहार। जेडीयू के दो फाड़ होने के बाद अब शरद यादव और सीएम नीतीश कुमार दोनों ही अब पार्टी चिन्ह के लिए जंग कर रहे हैं। लेकिन एक सवाल यह था कि शरद यादव अचानक से ही जेडीयू के बागी कैसे हो गए। लेकिन अब इसकी असली वजह सामने आ गई। शरद यादव का बागी होने पर बताया जा रहा है कि बीजेपी के साथ हाथ मिलाने पर जेडीयू अध्यक्ष को नहीं पता लगने दिया गया था। ऐस में अब शरद यादव को राज्यसभा से भी करारे झटके का सामना करना पड़ा है। जेडीयू पार्टी का शरद यादव के खिलाफ मोर्चा खोलने के बाद शरद यादव की राज्यसभा सदस्या को भी अब अयोग्य घोषित कर दिया गया है।
बताया जा रहा है कि जिस वक्त जेडीयू और बीजेपी का मेलमिलाब हो रहा था तो उस वक्त इसकी जानकारी तक शरद यादव को नहीं ती। इससे साफ तौर पर अंदाजा लगाया जा सकता है कि जेडीयू शरद यादव और लालू यदाव के साथ दूरियां बनाना चाहती थी। बताया जा रहा है जहां शरद यादव सीएम नीतीश कुमार के कई निर्णयों को नापसंद कर रहे हैं तो सीएम नीतीश कुमार भी शरद यादव के नाराज हैं। वही पार्टी चुनाव चिन्ह पर भी अब जंग तेज है। ऐसे में सूत्रों के हवाले से खबर है कि प्रतिनिधिमंडल ने अपनी साख मजबूत करने के लिए युनाव आयोग को 250 पन्नों का दस्तालवेज सौंपा है।
दोनों नेताओं के बीच यह कई बार ऐसा वाक्ये हुए जिससे उनकी दूरियां बनती गई। वही पार्टी प्रवक्ता कई बार बिनाबोले ही लालू को गठबंधन के लिए असमर्थ बताते थे लेकिन शरद यादव ने इसे हमेशा दरकिनार ही किया है। कभी भी शरद यादव की तरफ ने अपनी बात सो सार्वजनिक तौर पर मीडिया के सामने रखते हुए कहा कि वह अपने बात को पार्टी बैठक में भी कह सकते थे। ऐसे में शरद यादव के गुट का कहना है कि पार्टी में कई ऐसे लोग थे जो शरद यादव को नापसंद करते थे और सभी बातें शरद यादव से छिपाते थे।