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मप्रः 25 हजार शालाओं में लागू हुआ ‘शाला सिद्धि’ और “हमारी शाला ऐसी हो” कार्यक्रम

मप्रः 25 हजार शालाओं में लागू हुआ 'शाला सिद्धि' और "हमारी शाला ऐसी हो" कार्यक्रम

मध्यप्रदेश में स्कूली विद्यार्थियों को गुणवत्तायुक्त शिक्षा देने के लिये पिछले वर्षो में राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर ठोस प्रयास किये गये है। इसी कड़ी में प्रदेश की 25 हजार शालाओं में ‘शाला सिद्धि’ ‘हमारी शाला ऐसी हो’ कार्यक्रम लागू किया गया है। केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन विश्वविद्यालय, नई दिल्ली ने सरकारी शालाओं के मूल्यांकन एवं सुधार के लिये एक फ्रेमवर्क ‘शाला सिद्धि’ कार्यक्रम तैयार किया है। कार्यक्रम के जरिये बच्चों को भयमुक्त और आनन्ददायी वातावरण में सीखने का मौका मिल रहा है।

 

मप्रः 25 हजार शालाओं में लागू हुआ 'शाला सिद्धि' और "हमारी शाला ऐसी हो" कार्यक्रम
मप्रः 25 हजार शालाओं में लागू हुआ ‘शाला सिद्धि’ और “हमारी शाला ऐसी हो” कार्यक्रम

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कार्यक्रम में शालायें स्वयं का लगातार मूल्यांकन और बाह्रा मूल्यांकन कर कार्य-योजना बना रही हैं। योजना का विस्तार अब 12 हजार नई सरकारी शालाओं में करने का कार्यक्रम तैयार कर लिया गया है। स्कूल शिक्षा विभाग ने जिला शिक्षा अधिकारियों को कार्यक्रम की लगातार मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिये हैं। पिछले वर्ष प्रतिभा पर्व के दौरान जिलों के करीब 1600 अधिकारियों ने शाला सिद्धि कार्यक्रम में शाला मित्र के रूप में सहयोग दिया।

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कार्यक्रम में सफलतापूर्वक मूल्यांकन का कार्य किया गया। इसी कार्यक्रम में प्रत्येक विकासखण्ड के एक जनशिक्षा केन्द्र को उत्कृष्ट जनशिक्षा केन्द्र के रूप में चिन्ह्रित किया गया। यह केन्द्र आस-पास की शालाओं के लिये मेन्टर के रूप में कार्य कर रहा है। कार्यक्रम में प्रदेश की सरकारी शालाओं में कक्षा पहली और दूसरी को पढ़ाने वाले शिक्षकों को मूलभूत दक्षताओं के संबंध विशेष प्रशिक्षण दिलवाने की व्यवस्था विभाग द्वारा की गई है। इसके साथ ही, गणित और विज्ञान विषय में कक्षा 6 से 8 और कक्षा 9 से 12 तक के शिक्षकों को विशेष सेवाकालीन प्रशिक्षण दिलवाया जा रहा है।

प्रदेश की सरकारी शालाओं में आईआईटी, मुंबई के सहयोग से शैक्षणिक गुणवत्ता के लिये खेल प्रोजेक्ट लागू किया गया है। इस प्रोजेक्ट के माध्यम से कक्षा 1 से 3 तक के लिये विभिन्न विषयों गणित, हिन्दी और अंग्रेजी पर केन्द्रित चार्ट और कार्यक्रम तैयार किये गये हैं।

महेश कुमार यदुवंशी

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