नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक इंटरव्यू में भारत-चीन संबंधों पर अपनी बात राखी है। विदेश मंत्री ने कहा है कि दोनों देशों के बीच 1962 के युद्ध के बाद से सबसे ज्यादा गंभीर हालात बने हुए हैं। उन्होंने कहा की यह निश्चित रूप से 1962 के बाद सबसे ज्यादा गंभीर स्थिति है। यहां तक कि 45 सालों में पहली बार बॉर्डर पर जवानों की जान गई हैं। LAC पर दोनों सीमाओं पर जितनी बड़ी संख्या में सेना तैनात है, ऐसा भी इसके पहले कभी नहीं हुआ हैं।
बता दें कि पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है जिसको लेकर सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर कई राउंड में बातचीत हुई है लेकिन अभी भी स्थिति वैसी ही बनी हुई है। विदेश मंत्री अपनी किताब ‘The India Way: Strategies for an Uncertain World’ के रिलीज होने के पहले यह बातचीत कर रहे थे।
मामला शांत करने की कोशिश जारी
बता दें कि तनाव के चलते दोनों देशों की सेनाएं 20 मई के बाद से ही स्टैंडऑफ की स्थिति में है। 15 जून को दोनों देशों के जवानों के बीच गलवान घाटी में हिंसक झड़प हुई थी। जिसमें 20 भारतीयों जवानों की जान चली गई थीं। तभी से सीमा पर दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति बन गयी लेकिन अब दोनों देशों के बीच बातचीत करके मामलें को शांत करने की कोशिशें हो रही है।
पूर्वी लद्दाख में आमने-सामने खड़ी है सेनाएं
एस जयशंकर ने कहा कि भारत चीन को साफ-साफ बता चुका है कि सीमा पर शांति बनाए रखना दोनों देशों के रिश्तों की आधारभूत शर्त हैं इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर हम पिछले तीन दशकों पर नजर डालें तो यह स्पष्ट है कि सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर कई राउंड की बातचीत हुई है बावजूद इसके भारत और चीन की सेनाएं पिछले साढ़े तीन महीनों से ज्यादा के वक्त से पूर्वी लद्दाख में आमने-सामने खड़ी है।
सीमा पर तनाव में कूटनीति
उन्होंने कहा कि इतिहास में सीमा पर तनाव के मामलों में कूटनीति का सहारा लिया जाता रहा हैं उन्होंने कहा कि आप पिछले दशक को देखों तो सीमा विवाद को लेकर कई मामले सामने आए है जिनमे देस्पांग, चुमार और डोकलाम थे। अगर देखा जाये तो ये सारे मामले एक-दूसरे से अलग थे। इनकी परिस्थितियां वैसी नहीं थी जैसी अब है। LAC का मामला तो बिल्कुल अलग है, लेकिन एक बात है जो सबमें एक जैसी है, वो ये कि ये सारे विवाद कूटनीति के सहरे सुलझाए गए है।
सैन्य और कूटनीतिक दोनों स्तर पर बात जारी
विदेश मंत्री ने कहा कि चीन के साथ निकलने वाला समाधान सभी समझौतों का सम्मान करते हुए और यथास्थिति को बरकरार रखने की कोशिश के तहत होना चाहिए। साथ ही उन्होने कहा कि जैसा कि आप जानते हैं, हम चीन से सैन्य और कूटनीतिक माध्यम के जरिए बात कर रहे है। दरअसल ये दोनों चीजें साथ चल रही है।
LAC पर है विवाद
बता दें कि चीन और भारत के बीच पश्चिम में लद्दाख की बर्फीली चोटियों से लेकर पूर्व में घने जंगलों और पहाड़ों तक फैली 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा को लेकर विवाद है, इसपर सालों से बातचीत हो रही है, लेकिन अभी तक इसपर कोई हल नहीं निकल सका हैं।