नई दिल्ली। हिंदी पत्रकारिता में अपनी एक अलग पहचान बना चुके वरिष्ठ पत्रकार, पूर्व संपादक – हिंदी ब्लिट्ज व पूर्व अध्यक्ष बद्रीनाथ मंदिर समिति नंदकिशोर नौटियाल ने आज अंतिम सासं ली। नंदकिशोर नौटियाल ने अपनी जिंदगी के 60 साल हिंदी पत्रकारिता को दिए। वह पत्रकारों की उस पीढ़ी के प्रतिनिधि हैं, जिसके लिए पत्रकारिता एक मिशन रही है। इसलिए पत्रकारिता के साथ-साथ सामाजिक दायित्व और राजनीतिक वैचारिकता को उन्होंने पूरे प्राणपण के साथ निभाया।
बता दें कि उनकी लाइफ में वक़्त के चाहे कितने ही तेज़ झोंके आये हों, कितने ही तूफ़ान उठे हों, लेकिन वह अपने कर्तव्य पथ पर सदा अडिग बने रहे और आगे बढ़ते रहे हैं। पं. नंदकिशोर नौटियाल का जन्म 15 जून 1931 को आज के उत्तराखंड राज्य में पौड़ी गढ़वाल ज़िले के एक छोटे से पहाड़ी गांव में पं॰ ठाकुर प्रसाद नौटियाल के घर हुआ था। उनकी शिक्षा-दीक्षा गांव में और दिल्ली में हुई थी।
वहीं देश-दुनिया के प्रति जागरूक नौटियालजी छात्र जीवन के दिनों में ही स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े। दिल्ली की छात्र कांग्रेस की कार्यकारिणी के सदस्य के तौर पर उन्होंने 1946 में बंगलोर में हुए छात्र कांग्रेस के अखिल भारतीय अधिवेशन में भाग लिया। 1946 में ही नौसेना विद्रोह के समर्थन में जेल भरो आंदोलन में शिरकत की। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनकी जीवनयात्रा 1948 से शुरू हुई।
उन्होंने नवभारत साप्ताहिक (मुंबई), दैनिक लोकमान्य (मुंबई) और लोकमत (नागपुर) में 1948 से 1951तक कार्य किया। 1951में दिल्ली प्रेस समूह की `सरिता’ पत्रिका से जुड़े। दिल्ली में `मजदूर जनता’, `हिमालय टाइम्स’, `नयी कहानियां’ और `हिंदी टाइम्स’ के लिए कई साल कार्य किया। नौटियालजी धीरे-धीरे मज़दूर आंदोलन की तरफ़ अग्रसर होते गये। 1954 से ’57 तक दिल्ली में सीपीडब्ल्यूडी वर्कर्स यूनियन के सचिव रहे और अनेक बार आंदोलन किये। उन्होंने कई मज़दूर संगठन बनाये और पत्रकार यूनियनों में सक्रिय रहे।