मुंबई। पालघर: नेशनल सेंटर फ़ॉर सीस्मोलॉजी के वैज्ञानिक 11 नवंबर, 2018 से महाराष्ट्र के पालघर जिले में स्थाई भूकंपीय वेधशाला में दर्ज की गई रहस्यमयी भूकंपीय तरंगों से हैरान हैं। तेलसारी तालुका में 3 से ज्यादा तीव्रता के 10 से ज्यादा भूकंप आए हैं और सबसे बड़ा 4.1 की तीव्रता वाले भूकंप को आज ही के दिन (2 फरवरी) 3.0 तीव्रता और उससे अधिक के तीन भूकंपों से पहले दर्ज किया गया था।
बता दें कि रिक्टर पैमाने पर 4.1, 3.6 और 3.5 माप के तीन भूकंपों ने जिले में क्रमशः 2:06 बजे, 3:53 बजे और शाम 4:57 बजे दस्तक दी और इस भूकंप में 2 साल की बच्ची की मौत हो गई। एक अधिकारी ने बताया कि भूकंप के तीन झटके महसूस किए गए। उन्होंने बताया कि जिले के दहानु और तलासरी तालुकों में झटके महसूस किए गए। इलाके में बीते साल नवंबर से ही इस तरह के झटके महसूस किए जा रहे हैं। एनसीएस की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, इन सभी भूकंपों के बाद बहुत छोटे परिमाण के कई आफ्टर शेव भी देखने को मिले।
वहीं इस अजीब भूकंप गतिविधि की निगरानी के लिए एनसीएस ने वेदांता अस्पताल में एक अस्थाई फील्ड स्टेशन स्थापित किया, इसके बाद डोंगरीपाड़ा और तलासरी में दो और अस्थाई फील्ड स्टेशन स्थापित किए गए। एनसीएस के अनुसार, छोटी भूकंपीय गतिविधियों को ‘भूकंप के झुंड’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यह भूकंप मध्य पश्चिमी भारत में कई मौकों पर लंबी अवधि (3-4 महीने) के बीच आए।
साथ ही नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी रिपोर्ट में कहा गया है कि भूकंप की तीव्रता के संबंध में भविष्य के भूकंपों की सटीक भविष्यवाणी करने के लिए दुनिया के किसी भी हिस्से में कोई भी पूरी रह से कारगर वैज्ञानिक तकनीक उपलब्ध नहीं है। इसलिए, भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) की ओर से दिए गए भूकंप प्रतिरोधी भवन कोड के अनुसार, नागरिक और आवास संरचनाओं को ठीक से इंजीनियर किया जाना है।