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देशभर में नवरात्रि की धूम…..जानिए कैसे करें मां की पूजा

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नई दिल्ली। देशभर में नवरात्रि की धूम है और सुबह से लोग मां दुर्गा की पूजा करने के लिए मंदिरों में लाइन लगाए हुए है। नवरात्रि के प्रत्येक दिन माँ भगवती के एक स्वरुप श्री शैलपुत्री, श्री ब्रह्मचारिणी, श्री चंद्रघंटा, श्री कुष्मांडा, श्री स्कंदमाता, श्री कात्यायनी, श्री कालरात्रि, श्री महागौरी, श्री सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। यह क्रम चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को प्रातकाल शुरू होता है। नवरात्रि के नौ दिन लोग उपवास रखकर मां दुर्गा की पूजा कर उनसे सुख-शांति की प्रार्थना करते हैं। इस अवसर पर लोग अपने घरों में माता की चौकी बिठाते है तो कुछ लोग भजन कीर्तन कर मां को प्रसन्न करने की कोशिश करते है। इसके साथ ही जगह-जगह पंडाल भी लगाए जाते है जो कि अलग-अलग तरह की थीम पर आधारित होते है।

 

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कलश / घट स्थापना शुभ मुहूर्त:- मां दुर्गा का उपवास रखने या फिर घर में कलश की स्थापना से पहले आपको कुछ नियमों का जरुर पालन करना चाहिए जिसमें कि सबसे अहम है कलश की स्थापना और समय। ज्योतिषियों द्वारा इस बार कलश की स्थापना करने का शुभ समय सुबह 05:11 से 07:29 के बीच बताया गया है। सुबह 09:12 से 10:40 तक राहुकाल रहेगा इसलिए इस समय कलश की स्थापना न करें। पूजा करने से पहले कलश की स्थापना की जाती है। शास्त्रों के अनुसार कलश को सुख-समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है। कलश के मुख में विष्णुजी का निवास, कंठ में रुद्र तथा मूल में ब्रह्मा स्थित हैं और कलश के मध्य में दैवीय मातृशक्तियां निवास करती हैं।

सामग्री:-  कलश की स्थापना करते समय आपको कई सारी चीजों की आवश्यकता होती है जैसे -मिट्टी का बर्तन, मिट्टी, शुद्ध जल या गंगाजल , मोली, इत्र, साबुत सुपारी, दूर्वाकलश में रखने के लिए कुछ सिक्के, पंचरत्न ,अशोक या आम के 5 पत्ते, कलश ढकने के लिए ढक्कन, ढक्कन में रखने के लिए बिना टूटे चावल, पानी वाला नारियल, नारियल पर लपेटने के लिए लाल कपडा और फूल माला।

कलश स्थापना की विधि:- सबसे पहले जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र लें। इस पात्र में मिट्टी की एक परत बिछाएं। अब एक परत जौ की बिछाएं। इसके ऊपर फिर मिट्टी की एक परत बिछाएं। फिर से एक परत जौ की बिछाएं। जौ को चारों तरफ बिछाएं ताकि जौ कलश के नीचे न दबे। इसके ऊपर फिर मिट्टी की एक परत बिछाएं। अब कलश के कंठ पर मोली बाँध दें। कलश के ऊपर रोली से ॐ और स्वास्तिक लिखें। इसके बाद कलश में शुद्ध जल, गंगाजल कंठ तक भर दें। कलश में साबुत सुपारी, दूर्वा, फूल डालें। कलश में थोड़ा सा इत्र और पंचरत्न डाल दें। फिर कलश में कुछ सिक्के रख दें। आखिर में कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते रखकर कलश का मुख ढक्कन से बंद कर दें और ढक्कन में चावल भर दें। इसके बाद नारियल पर लाल कपड़ा लपेट कर उस पर मोली बांध दें फिर उसे कलश पर रख दें।अब दीपक जलाकर कलश का पूजन करें।

कलश स्थापना के बाद माँ दुर्गा की चौकी स्थापित की जाती है।नवरात्री के प्रथम दिन एक लकड़ी की चौकी की स्थापना करनी चाहिए। इसको गंगाजल से पवित्र करके इसके ऊपर सुन्दर लाल वस्त्र बिछाना चाहिए। इसको कलश के दायीं और रखना चाहिए।उसके बाद माँ भगवती की मूर्ति को रखें। नवरात्री के प्रथम दिन ही अखंड ज्योत जलाई जाती है जो नौ दिन तक जलती रहती है। दीपक के नीचे “चावल” रखने से माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है तथा सप्तधान्य रखने से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते है।

मंत्रों का उच्चारण प्रतिदिन करना लाभकारी:- प्रतिदिन कुछ मन्त्रों का पाठ भी करना चाहिए जो कि काफी लाभकारी होता है। ये मंत्र हैं…..

– सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके ।

– शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुते।

– ऊँ जयन्ती मङ्गलाकाली भद्रकाली कपालिनी ।

-दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते ।

-या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता , नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।

-या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता , नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।

– या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता , नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।

– या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता , नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।

– या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता , नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।

– या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता , नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।

– या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता , नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।

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