फतेहपुर के हंस्वा ब्लाक के एकारी गांव में स्थित राजकीय हाईस्कूल विद्यालय में मोटा वेतन पाने वाले शिक्षक और प्रधानाचार्य खुद ही यूपी के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री का नाम नहीं बता पाए। वहीं छात्रों ने तो जिलाधिकारी और प्रधानाचार्य का नाम भी नहीं बता पाये।
सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए न जाने कितना पैसा पानी की तरह बहाती है। यहां तक कि एक-एक विद्यालय में प्रधानाचार्य और शिक्षकों को भारी वेतन देकर शिक्षा की गुणवत्ता को दूरूस्त करना चाहती है। लेकिन फतेहपुर के हंस्वा ब्लाक के एकारी गांव में स्थित राजकीय हाईस्कूल विद्यालय में छात्र-छात्राओं से जब यूपी के उप मुख्यमंत्री का नाम पूंछा तो वो भी नहीं बता पाये।
सबसे बड़ी बात ये हुई कि छात्र छात्राएं फतेहपुर के जिलाधिकारी और मुख्यविकास अधिकारी तक का नाम नहीं बता पाये
गौरतलब है कि जब छात्रों से मुख्यमंत्री का नाम पूंछा गया तो वो भी नहीं बता पाये। हद तो तब हुई जब छात्र -छात्राओं ने फतेहपुर के जिलाधिकारी और मुख्यविकास अधिकारी तक का नाम नहीं बता पाये। वहीं जब शिक्षकों से भारत के उपराष्ट्रपति ,भारत के वित्तमंत्री, भारत के गृहमंत्री का नाम पूंछा गया तो वो भी नहीं बता पाए।
विद्यालय की प्रधानाचार्य ने कहा कि गांव के बच्चे है, धीरे-धीरे सीख जायेगें
आपको बता दें कि जिनके कंधे पर पूरा विद्यालय है,यानी कि विद्यालय की प्रधानाचार्य ममता गुप्ता से जब पूंछा गया कि विद्यालय में क्या दिक्कत है तो उन्होने कहा कि यहां साफ सफाई नहीं होती कोई चपरासी नहीं है। वहीं पढ़ाई के स्तर पर जब उनसे बात हुई तो उनका कहना था कि गांव के बच्चे है धीरे-धीरे सीख जायेगें।
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भारत के राष्ट्रपति का नाम भी बच्चे नहीं बता पाये तब शिक्षकों से कहा आप ही बता दीजिए
मालूम हो कि भारत के राष्ट्रपति का नाम भी बच्चे नहीं बता पाये तब शिक्षका से कहा कि आप ही बता दीजिए। जिसका उत्तर शिक्षिका ने गोबिंद प्रसाद बताया। इन हालातों में आप क्या कहेंगें कि जिस विद्यालय का प्रधानाचार्य को भारत के राष्ट्रपति का नाम पता न हो तो सवाल खड़ा होता है कि वहां के बच्चे क्या शिक्षा ग्रहण कर पा रहे होगें?
शिक्षकों की शिक्षा का स्तर सही नही होगा तब तक शिक्षा गुणवत्ता में कोई सुधार हो पाना असंभव है
ऐसे हालातों पर यह कहना गलत नही होगा कि सरकार चाहे जितना शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रयास कर ले जब तक शिक्षकों की शिक्षा का स्तर सही नही होगा तब तक शिक्षा गुणवत्ता में कोई सुधार हो पाना असंभव है।