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सेबी का फैसलाः मुकेश अंबानी को छोड़ना पड़ेगा चेयरमैन या एमडी का पद

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नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्री के चेयरमैन और एमडी मुकेश अंबानी को अपना एक पद छोड़ना पड़ेगा। दरअसल, सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) के एक फैसले के मुताबिक अब सभी कंपनियों को ऐसा ही करना पड़ेगा। इस नियम के मुताबिक अब भारती एयरटेल के सुनील मित्तल, विप्रो के अजीम प्रेमजी सहित कई लोगों को अब सीएमडी व चेयरमैन में से एक पद को छोड़ना पड़ेगा। दरअसल, कोटक कमेटी ने ऐसी कंपनियों में एमडी या सीईओ और चेयरमैन के पद को अलग-अलग करने की सिफारिश की थी। सेबी ने कॉरपोरेट गवर्नेंस पर कोटक कमेटी की सिफारिशों को मंजूरी दे दी।

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उल्लेखनीय है कि भारतीय कंपनियों में प्रमोटर अक्सर चेयरमैन और एमडी दोनों होते हैं। उन्हें लगता है कि कंपनी उनकी है फिर चेयरमैन के तौर पर वह किसी बाहरी शख्स का निर्देश क्यों लें। कॉरपोरेट कंपनियों में चेयरमैन और सीएमडी की भूमिका अलग-अलग होती है। साथ ही कंपनी नियमावाली के मुताबिक, चेयरमैन कंपनी बोर्ड का नेतृत्व करता है। एमडी प्रबंधन का प्रमुख होता है। एमडी रोजमर्रा के ऑपरेशन देखता है। बोर्ड की बैठक में चेयरमैन इसका नेतृत्व करता है। वह मैनेजमेंट से कंपनी के कामकाज से जुड़ा सवाल करता है। मैनेजमेंट के किसी प्रस्ताव का वे समर्थन या विरोध कर सकते हैं या रद्द भी कर सकते हैं।

बता दें कि कोटक कमिटी की सिफारिशों में कहा गया है कि एक ही शख्स अगर चेयरमैन और एमडी दोनों की भूमिका निभा रहा है तो मैनेजमेंट से सवाल करने की बोर्ड की आजादी पर अंकुश लगता है। दोनों के अधिकारों में बंटवारा कंपनी को बेहतर तरीके से चलाने में मदद करेगा। इस वक्त एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्स्चेंज) की सूची में शामिल 640 कंपनियों में एक ही व्यक्ति चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। अगर कोटक कमेटी की सिफारिशें लागू हो जाती हैं तो इन कंपनियों को इनकी भूमिका बांटनी पड़ेगी। भारतीय उद्योगपतियों को लगता है कि अगर उन्होंने अपना कोई पद छोड़ा तो कंपनी से उनका नियंत्रण खत्म हो जाएगा। अगर उन्होंने चेयरमैन का पद छोड़ दिया तो बोर्ड को प्रभावित नहीं कर सकेंगे।

वहीं सरकार के अधीन आने वाली सेबी की मंजूरी के बाद भी यह सिफारिश अप्रैल 2020 से लागू होगी। यह फैसला उन बड़ी कंपनियों पर लागू होगा जिनकी मार्केट वैल्‍यू सबसे अधिक होगी। कोटक कमिटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि चेयरमैन और एमडी की भूमिकाओं के बंटवारे से सारे अधिकार एक व्यक्ति के हाथ में नहीं रहेंगे। इससे कंपनी के परिचालन में बेहतरी आएगी और उसका प्रदर्शन सुधरेगा।

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